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हूं. ठीक है, अब देररात

हो चुकी है, आगे कल

बात होगी.’’

रात में सुजाता ने अपने पापा को सारी बातें विस्तार से बताई थीं. उस के पिता ने कहा भी था कि वे अतुल के पूरे परिवार को इंडिया में कोर्ट केस में बुरी तरह ऐसा फंसा देंगे कि पूरी जिंदगी कोर्ट के चक्कर लगाते रहेंगे.

सुजाता ने कहा, ‘‘नहीं पापा, इस में अतुल के परिवार का कोई दोष नहीं है. उन को बेवजह क्यों तंग करना है, और जब अतुल को मुझ से प्यार ही नहीं रहा, तो मैं क्या उन से प्यार की भीख मांगूं?’’

अगले दिन सुजाता ने अतुल से कहा, ‘‘तुम अपने पेपर्स तैयार करा लो, मैं साइन कर दूंगी.’’

अतुल बोला, ‘‘इस में एक बाधा है जो तुम्हारे हित में नहीं है.’’

वह बोली, ‘‘अब भी तुम मेरा हित सोच रहे हो?’’

अतुल बोला, ‘‘बात ठीक से समझो. जिस दिन कोर्ट से तलाक मिल जाता है, उसी दिन से तुम्हारा अमेरिका में रहना, गैरकानूनी हो जाएगा क्योंकि तब तुम मुझ पर आश्रित नहीं रहोगी और तुम्हारा वीजा  रद्द हो जाएगा. तुम भारी मुसीबत में फंस जाओगी.’’

सुजाता बोली, ‘‘तब, मुझे क्या करना चाहिए?’’

अतुल बोला, ‘‘मैं सारे पेपर्स तैयार करवा लेता हूं. इस के अतिरिक्त एक एग्रीमैंट भी तैयार कर लेता हूं. मेरा जितना भी बैंक बैलेंस और शेयर्स हैं उस का आधा तुम्हें दे रहा हूं. रेणु की कस्टडी भी तुम्हें दे रहा हूं क्योंकि बेटी मां के पास ज्यादा खुश रहेगी. तुम सारे पेपर्स पर साइन कर दो. जितना जल्दी हो जाए, अच्छा है क्योंकि जितनी बार हम वकील के यहां या कोर्ट जाएंगे, महंगा पड़ेगा. यहां वकील की फीस बहुत ज्यादा होती है. पेपर्स साइन कर तुम इंडिया जा सकती हो क्योंकि तब तक तुम्हारा वीजा वैलिड रहेगा. बाकी, सब मैं यहां देख लूंगा.’’

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