‘जरा बताओ तो सही,’ बड़ीबड़ी आंखें उठा कर, वैशाली बोली.
‘देखो, तुम्हारे प्रजेंटेशन से मेरे बौस बहुत प्रभावित हैं, वह तो मुझे कितनी बार अपनी फर्म में तुम्हें ज्वाइन कराने के लिए कह चुके हैं. पर अचानक तुम्हारा प्रमोशन होने से बात दब गई.’
‘जरा सोचो...अगर तुम हमारी फर्म को ज्वाइन कर लेती हो तो कितना अच्छा होगा. तुम्हारा सीनियर स्टाफ का जो फोबिया है उस से भी तुम्हें मुक्ति मिल जाएगी.’
वैशाली कुछ सोचने लगी तो राजीव फिर बोला, ‘इसी बहाने हम पतिपत्नी एकसाथ कुछ एक पल बिता सकेंगे और तुम्हारा कैरियर भी हैंपर नहीं होगा. अब सोचो मत...कुछ भी हो, कोई भी कारण दिखा कर वहां की नौकरी से त्यागपत्र दे दो.’
वैशाली ने तपसिया में मार्केटिंग मैनेजर का पद संभाल लिया. बौस निश्ंिचत हो कर महीनों विदेश में रहते. अब तो दोनों फर्म के सर्वेसर्वा से हो गए. 6 महीने में ही लेदर मार्केट में अमन अंसारी की कंपनी का नाम नया नहीं रह गया. उन के बनाए लेदर के बैग, बेल्ट, पर्स आदि की मार्केटिंग का सारा काम वैशाली देखती तो सेलपरचेज का काम राजीव.
देखतेदेखते अब कंपनी काफी मुनाफे में चल रही थी और सबकुछ अच्छा चल रहा था. दोनों की जिंदगी में कोई तमन्ना बाकी नहीं रह गई थी. 2 साल यों ही बीत गए. सुख के बाद दुख तो आता ही है.
वैशाली को मार्केटिंग मैनेजर होने की वजह से कभी मुंबई, दिल्ली, जयपुर तो कभी विदेश का भी टूर लगाना पड़ता था. 2-3 बार तो राजीव व वैशाली यूरोप के टूर पर साथसाथ गए. फिर जरूरत के हिसाब से जाने लगे.