नेहा का कंधा थपथपाते हुए सौम्या ने कारण पूछा तो नेहा ने बताया, ‘‘सौम्या दीदी, मैं अब नितिन से कभी बात नहीं करूंगी.’’‘‘अरे, ऐसा क्या हो गया?’’ चौंकते हुए सौम्या ने पूछा.‘‘कुछ नहीं दीदी. वह मु झ से सच्चा प्यार नहीं करता. उसे तो कोई भी लड़की चलती है.’’‘‘यह कैसी बकवास कर रही है तू?’’ डांटते हुए सौम्या ने कहा तो वह फूट पड़ी, ‘‘दीदी, आज मु झे कालेज जाने में थोड़ी देर हो गई थी. 12 बजे के करीब पहुंची, तो पता है मैं ने क्या देखा?’’‘‘क्या देखा?’’‘‘मैं ने देखा कि नितिन एक नई लड़की के साथ कैंटीन में बैठा कौफी पी रहा है.
यह दृश्य देखते ही मैं अपसैट हो गई और बाहर लौन में आ कर एक बैंच पर बैठ गई. जानती हैं फिर क्या हुआ?’’‘‘क्या हुआ?’’‘‘फिर नितिन उस लड़की का बैग उठाए लौन में आया और दोनों एक बैंच पर बैठ कर बातें करने लगे. नितिन ने मु झे देखा नहीं था. उस का ध्यान तो पूरी तरह उस लड़की पर था. जाने कितनी देर दोनों एकदूसरे की आंखों में देखते हुए बातें करते रहे. मेरा दिल जल उठा और मैं वहां से उठ कर चली आई. क्लास में जाने का भी दिल नहीं हुआ.’’ नेहा की आंखें फिर से भर आई थीं.सौम्या हंसती हुई बोली, ‘‘बस, इतनी सी बात है?’’‘‘दीदी, यह इतनी सी बात नहीं. आज नितिन ने दिखा दिया कि वह जरा भी वफादार नहीं है.’’‘‘पागल है तू, ऐसा कुछ नहीं,’’ सौम्या ने नेहा को सम झाना चाहा कि तब तक सौम्या की बेटी आरुषि घर में दाखिल हुई.‘‘अरे, क्या हुआ बेटे, आप जल्दी आ गए?’’‘‘हां मम्मा, तबीयत ठीक नहीं थी. फीवर है.’’‘‘ओह, रुक, मैं आती हूं.