“पापा तो बिलकुल फिट हैं,” अपनी आंखें चमकाते हुए महिमा बोली, “रोज सुबह सैर और योगा करना नहीं भूलते. खाना भी एकदम कायदे से लेते हैं. ऐसा नहीं कि कुछ भी खा लिया. सच कहूं दी, आज हम युवाओं से ज्यादा बुजुर्ग लोग अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं, जो अच्छी बात है. लेकिन युवा आज एकदूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में ऐसे भाग रहे हैं कि अपनी सेहत की उन्हें चिंता ही नहीं है.”
उस की बात पर मुक्ता ने भी हामी भरी कि वह सही कह रही है, क्योंकि वह भी अपनी सेहत पर कहां ध्यान दे पाती है. औफिस और घर के बीच ऐसी पिसती रहती है कि अपने लिए उसे समय ही नहीं मिलता.दोनों बहनों को बातों में मशगूल देख पीछे मुड़ कर विवेक बोला, “अरे भई, मुझ से भी कोई बात करेगा? या ड्राइवर ही समझ लिया है आप दोनों ने मुझे?” उस की बात पर दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं.
“वैसे, मेरी प्यारी साली साहेबा, आप को यहां आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई न?”“नहीं जीजू, कोई तकलीफ नहीं हुई और फिर ‘एसी’ बोगी में तो आराम ही आराम होता है. पता ही नहीं चला कि कब पटना से ट्रेन अहमदाबाद पहुंच गई.“वैसे जीजू, आप लग बड़े स्मार्ट रहे हो. एकदम रणबीर सिंह की तरह. यह दी के प्यार का असर है या कोई और बात है ? बताओबताओ.“
“पहले तो ‘थैंक यू’ मुझे स्मार्ट बोलने के लिए, फिर बता दूं साली साहेबा कि ऐसी कोई बात नहीं है, क्योंकि तुम्हारी दीदी मुझे छोड़ती ही नहीं, जो जरा इधर झांकूं भी,” हंसते हुए विवेक बोला, “वैसे,आप भी किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही हैं,” अपनी तारीफ सुन महिमा मुसकरा पड़ी. बात कहते हुए वह खिड़की से बाहर भी देख रही थी. बड़ीबड़ी बिल्डिंगें, घर, कंपनियां, मौल देखदेख कर उस की तो आंखें ही चुंधियां रही थीं. कुछ ही देर बाद गाड़ी एक बड़े से टावर के पास आ कर रुक गई.
“वाउ जीजू, आप का यह घर तो पहले वाले घर से भी बड़ा है,” घर में कदम रखते ही महिमा की आंखें चमक उठी.“और, ये बालकनी तो देखो, जैसे एक कमरा ही हो. वाह, कितना अच्छा नजारा दिख रहा है बाहर का. बहुत मजा आता होगा न आप दोनों को यहां बैठ कर चाय पीने में? और वहां पटना में एक हमारा घर,” मुंह बनाते हुए महिमा कहने लगी, “ बस, खिड़की और दरवाजे से ही झांकते रहो. और इनसान भी वहां के इतने बोरिंग और इरिटेटिंग कि पूछो मत. लड़की देखी नहीं कि घूरने लगते हैं, जैसे खा ही जाएंगे. इसलिए पापाभैया मुझे घर से ज्यादा बाहर निकलने नहीं देते हैं.“
उस की बात पर चुटकी लेते हुए विवेक बोला, “अब लड़के तुम जैसी खूबसूरत लड़कियों को नहीं घूरेंगे तो फिर किसे घूरेंगे? लेकिन, तुम ने यहां आ कर अच्छा नहीं किया महिमा. बेचारे, अब उन लड़कों का क्या होगा ? किसे घूरेंगे अब वे…?” विवेक की बातों पर मुक्ता को भी जोर की हंसी आ गई.
“हूं… ले लो मजे आप दोनों भी,” झूठा गुस्सा दिखाते हुए महिमा बोली.“चलो, अब बाकी बातें बाद में, पहले फ्रेश हो जाओ. तब तक मैं सब के लिए चाय बनाती हूं,” कह कर मुक्ता किचन में चली गई और महिमा फ्रेश होने.यहां का बड़ा और साफसुथरा बाथरूम देख कर महिमा का मन खुश गया. मन तो किया कि झरने के नीचे खड़े हो कर पहले खूब नहा ले. लेकिन मुक्ता ने आवाज दी, तो वह बाहर आ गई. दोनों को चाय दे कर मुक्ता अपनी भी चाय ले कर बालकनी में आ गई और चाय के साथ बातों का सिलसिला चल पड़ा.
मुक्ता पटना और वहां के लोगों के बारे में खैरखबर लेती रही और महिमा यहां के बारे में जानकारी प्राप्त करने लगी. इसी बीच जीजासाली में नोकझोंक और हंसीमजाक भी चलता रहा. शाम को तीनों बाहर घूमने निकल पड़े और बाहर से ही खापी कर देर रात वापस आए.अब इसी तरह इन की रूटीन लाइफ बन गई थी. हर छुट्टी वाले दिन ये लोग कहीं न कहीं घूमनेफिरने निकल पड़ते थे.