एक सैनिक को युद्ध के मैदान के अलावा अपने सैन्य जीवन में भी तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, यह बात मुझे तब समझ आई जब मेरी पोस्टिंग लेह से 113 किमी दूर धुरबुक यूनिट में हुई.