जो खुशियां श्वेता के हिस्से में आनी चाहिए थीं वे उस की छोटी बहन पल्लवी के दामन में चली गई थीं. लेकिन वक्त के फेर के चलते वही खुशियां पल्लवी की वजह से श्वेता के दर पर थीं.