‘‘बोल बेटा.’’
‘‘मैं बोर्डिंग में रह कर पढ़ना चाहता हूं.’’
‘‘अरे, सो क्यों?’’
‘‘मेरे कुछ दोस्त ऊटी के स्कूल में पढ़ने जा रहे हैं. वे मुझे बता रहे थे कि चूंकि मैं ने हमेशा अपनी क्लास में टौप किया है, मुझे आसानी से वहां दाखिला मिल सकता है. बूआ, मेरा बड़ा मन है कि मैं अपने साथियों के साथ उसी स्कूल में पढ़ूं. तुम मेरी मदद करोगी तो यह संभव होगा.’’
‘‘तू सच कह रहा है?’’
‘‘हां बूआ, बिलकुल सच.’’
आरती का मन हलका हो गया. उस ने सपने में भी न सोचा था कि उस की समस्याओं का हल इतनी आसानी से निकल आएगा. उस ने मन ही मन तय कर लिया कि रघु की स्कूली पढ़ाई समाप्त हो जाने पर वह उसे अपने पास बुला लेगी. वह तुरंत मिहिर को फोन करने बैठ गई. रघु उस के पास ही मंडराता रहा. उस ने बूआ और मिहिर की बातें सुन ली थीं. वह जान गया था कि बूआ और मिहिर एकदूसरे को चाहते हैं और विवाह करना चाहते हैं और उस ने अचानक आ कर बूआ को उलझन में डाल दिया था.
उस ने सहसा बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने का निश्चय कर लिया. और सोच लिया कि यदि वहां दाखिला न मिला तो वह मुंबई चला जाएगा. उस ने पलक मारते तय कर लिया कि वह अपनी बूआ की खुशियों के आड़े नहीं आएगा. उस ने अपनी बूआ को करीब से देखा और जाना है. उसे उन के दर्द और तड़प का एहसास है. उस ने बचपन से ही देखा है कि किस तरह उस की बूआ ने पगपग पर सब की मरजी के आगे सिर झुकाया है. वे कितना रोई और कलपी हैं.