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पतिपत्नी दोनों ही भविष्य के अंधकार की कालिमा की चिंता के कारण एकदूसरे की ओर पीठ कर के लेट गए. थके हुए कांत कुछ देर में खर्राटे भरने लगे थे. परंतु निराशा की गर्त में डूबी सुमित्रा अतीत के पन्नों को पलटने में उलझ गई थीं.

शची उन की छोटी और प्यारी सी ननद है जिस की शादी करने में श्रीकांत ने अपना सबकुछ लुटा दिया था. परंतु लालची पति के अत्याचार से परेशान हो कर शची 5 वर्ष की बेटी आन्या को ले कर उन के पास लौट कर आ गई थी. श्रीकांत अपनी बहन शची को पितातुल्य स्नेह देते थे. उन्होंने सब से पहले उसे अपने पैरों पर खड़े होने की सलाह दी.

भाईबहन की मेहनत रंग लाई थी. शची ने पहली बार में ही बैंक की परीक्षा पास कर ली थी. शची की तनख्वाह और प्यारी सी आन्या के आ जाने से उन की खुशियों में चारचांद लग गए. ननदभाभी के बीच प्यारा सा रिश्ता था. नन्ही सी आन्या के ऊपर वे अपना प्यार लुटा कर बहुत खुश थीं. वह स्कूल से आती तो वह स्वयं उसे अपने हाथों से खाना खिलातीं, उस के साथ खेलतीं. सबकुछ सुचारु रूप से चलने लगा था. शची अपनी तनख्वाह सुमित्रा के हाथ में ही रखती थी.

परंतु फिर भी अकसर मां न बन पाने की कसक सुमित्रा के मन में उठ जाया करती थी. उन की शादी के 12 वर्ष पूरे हो चुके थे, और अब तो वे मां बनने की उम्मीद भी छोड़ बैठी थीं.

मां बनने के लिए वे डाक्टरों के साथ मौलवी, पंडित, गंडातावीज, मंदिरमसजिद हर जगह चक्कर काटतेकाटते निराश हो चुकी थीं. वे आन्या को पा कर अपने गम को अब काफी हद तक भूल बैठी थीं.

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