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‘फर्स्ट क्लास, पापा. मेरे तो सारे सब्जैक्ट्स तैयार हैं. रिवीजन चल रहा है.’

मेरी बातों से ज्यादा उन्हें बेटे की बातों पर विश्वास था. सोम निश्ंिचत थे कि उन की बीवी को तो हमेशा बड़बड़ करने की आदत है.

दीप का हाईस्कूल का रिजल्ट निकलने वाला था. सोम छुट्टी ले कर मंगलोर से आ गए थे. सोम बेटे से लडि़याते हुए बोले थे, ‘दीप, तुम्हारे 80 प्रतिशत अंक तो आ ही जाएंगे.’

दीप बोला था, ‘श्योर, पापा.’

‘भई, फिर तुम क्या इनाम लोगे?’

मेरा मन नहीं माना था, बीच में ही बोल पड़ी थी, ‘सिया ने जब पूरे कालेज में टौप किया था तो आप ने कभी नहीं पूछा था.’

‘अरे, वह तो बेटी थी. यह तो मेरा बेटा है, मेरा नाम रोशन करेगा.’

‘पापा, मुझे अपने दोस्तों को तो होटल में पार्टी देनी पड़ेगी.’

‘देना, जरूर देना. अपना मन मत छोटा करना. मु झे पहले से बता देना कि कितने रुपए चाहिए.’

दीप का रिजल्ट इंटरनैट पर देखा गया. उस के 51 प्रतिशत अंक देख कर सोम ने आव देखा न ताव, उस पर थप्पड़ों की बरसात कर दी थी. बेटे को बचाने के चक्कर में 1-2 हाथ मेरे भी लग गए थे.

घर में मातम का माहौल था, परंतु दीप पर कोई असर नहीं था. वह ढीठ की तरह कह रहा था, ‘मेरे तो सारे पेपर अच्छे हुए थे, जाने कैसे इतने कम अंक आए हैं. जरूर कहीं गड़बड़ है. मैं स्क्रूटनी करवाऊंगा.’

सोम को बहुत बड़ा सदमा लगा था. शर्म के कारण वे 2-3 दिन घर से बाहर नहीं निकले. वे सम झ नहीं पा रहे थे कि दीप को सही रास्ते पर कैसे लाएं.

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