Hindi Kahani : प्रतिबिंब भी अपने पिता का बेटा था. यदि वे अनाया को अपनी बहू बनाने के लिए तैयार नहीं थे तो प्रतिबिंब भी अनाया में चाहे कितने भी माइनस पौइंट हों, उसी से शादी करने का प्रण ले चुका था.

रात के 8 बज रहे थे. प्रतिबिंब ने सामने की दीवार पर लगे टीवी के पास से रिमोट उठाया और अनाया का इंतजार करते हुए बैड पर लेट कर टीवी देखने लगा.

बमुश्किल आधा घंटा हुआ था कि दरवाजा खुला और मुसकराते हुए अनाया ने प्रवेश किया, ‘‘सौरीसौरी, प्रति, मैं थोड़ा सा लेट हो गई, बाय द वे, कितनी देर हो गई तुम्हें आए हुए?’’
‘‘अरे छोड़ो यार ये सब बातें, तुम जल्दी से फ्रैश हो कर आ जाओ, मैं ने खाना और्डर कर दिया है, आता ही होगा.’’
‘‘ठीक है, मैं यों गई और यों आई.’’
15 मिनट के बाद चेंज कर के जब अनाया ने कमरे में प्रवेश किया तो प्रतिबिंब उसे अवाक सा देखता रह गया.

‘‘कमर तक लहराते खुले केश, दूधिया सफेद रंग और उस पर पिंक कलर की झीनी नाइटी पहने अनाया को सामने इस रूप में देख कर प्रतिबिंब अपने अंदर उठते प्यार और रोमांस के ज्वारभाटे को रोक नहीं पाया और झट से एक प्यारभरा चुंबन अनाया के गाल पर जड़ दिया.

‘‘अरेअरे, यह क्या कर रहे हो, जरा धीर धरो श्रीमानजी. पहले हम पेटपूजा कर लें,’’ कहते हुए अनाया ने प्रतिबिंब को प्यार से अपने से अलग कर दिया. तभी घंटी बजी, प्रतिबिंब ने दरवाजा खोल कर डिलीवरी बौय से खाना लिया और टेबल पर ला कर रख दिया.

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