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सास की बात सुन कर वह चौंक गई. उस ने मना करना चाहा लेकिन फिर कल रात परिवार में हुई अनबन को याद कर बात को और आगे न बढ़ाने के लिए वह पंडितजी से कुछ दूरी बना कर उन के पास बैठ गई. पंडितजी ने मुसकरा कर उस की तरफ देखा और उसे अपना सीधा हाथ आगे बढ़ाने को कहा. उस ने झिझकते हुए अपने सीधे हाथ की हथेली उन के आगे कर दी. पंडितजी ने उस की हथेली को छूते हुए उस पर हलका सा दबाव डाला. उस ने अपनी हथेली पीछे करनी चाही पर उस के ऐसा करने से पहले ही पंडित उस की हथेली पर अपनी उंगलिया फेरते हुए उस की सास से पूछने लगे, “तो यह आप की बहू है?”

“जी पंडितजी,” उस की सास हां में सिर हिलाते हुए जवाब दिया तो पंडितजी आगे बोले, “समय की बहुत बलवान है आप की बहू. इस के हाथ की रेखाएं बता रही हैं कि इसे अपने पिता की संपत्ति से बहुत बड़ी धनराशि प्राप्त हुई है और उसी धनराशि से आप सब के समय संवरने वाले हैं.”

उस ने पंडित पर एक नजर डाली. पंडितजी बड़े ही ध्यान से उस की हथेली की रेखाओं को देख कर उस का वर्तमान बता रहे थे.

“जी पंडितजी. आप तो ज्ञानी हैं. गांव में इस के पिता की कई एकड़ जमीन बुलेट ट्रेन के प्रोजैक्ट में सरकार ने ले ली है. इस का कोई भाई या बहन तो है नहीं, तो उसी के पैसे से इस के पिता ने इस के नाम 20 लाख रुपए की एफडी कर दी है,” उस की सास ने पंडितजी की बात का जवाब दिया तो उस ने अपनी सास की तरफ देखा. उसे अपनी सास का पंडितजी के सामने इस तरह अपनी निजी बातें शेयर करना पसंद नहीं आया लेकिन वह उन की उम्र का लिहाज कर कुछ भी न बोल पाई.

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