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मैं ने 12वीं पास कर ली. मेरी 2 छोटी बहनें, उस के बाद एक भाई है. मेरे अब्बू की मनिहारी की दुकान है. घर की खस्ता माली हालत ने मुझे एक प्राइवेट स्कूल में नर्सरी की टीचर बना दिया. उन्हीं दिनों मेरी स्कूल में लीव वैकैंसी पर नई टीचर आयरीन सहर ने जौइन किया. घुंघराले बालों वाली छरहरे बदन की भोले से चेहरे पर खड़ी नाक और सुडौल जिस्म वाली यह टीचर इतनी कमाल की आर्टिस्ट थी कि मिनटों में शिक्षापयोगी सहायक सामग्री बना कर क्लासरूम के शीशे वाली अलमारी में सजा देती. हम दोनों हमउम्र थे, इसलिए हाफटाइम में दोनों टिफिन के साथसाथ दिल की बातें भी शेयर करते. कुछ महीनों के बाद मैं ने गौर किया कि वह अपने पहनावे और जिस्मानी खूबसूरती के लिए बतलाए गए टिप्स पर संजीदगी से अमल करती और उस के फायदे बतला कर मुझे भी वैसा करने को कहती.

एक दिन वह स्कूल में नौर्मल दिनों से कहीं ज्यादा सजधज कर आईर् थी. मिलते ही चहकने लगी, ‘आज मेरा बौयफ्रैंड मुझे पिक करने आ रहा है,’ आयरीन ने बताया.

छुट्टी के बाद मुझे हैडमिस्ट्रैस ने बुलवा लिया. छुट्टी के आधे घंटे बाद मैं अपना बैग ले कर सड़क की तरफ बढ़ने लगी. तभी सामने का दृश्य देख कर आश्चर्यचकित रह गई. आयरीन जिन की मोटरसाइकिल पर बैठ रही थी, वे सईद मास्साब थे.

लाखों की आबादी वाले शहर और 30 किलोमीटर से ज्यादा के क्षेत्रफल वाले शहर के आखिरी छोरों पर रहने वालों को सईद मास्साब की असलियत का पता कैसे चलता? मीठी बातों के चलते नौकरीपेशा दामाद की छानबीन करने की जरूरत ही नहीं समझी रेलवे अधिकारी ने. दक्षिण भारत में बेटी की शादी में लगने वाले लाखों के दहेज और कई तोले सोना देने से वे बच गए थे, यही क्या कम था. कहां मिलते हैं ऐसे नेक लड़के आजकल के जमाने में. जब आयरीन के अम्मीअब्बू ने सईद मास्साब के बारे में कुछ जानने की जरूरत नहीं समझी, तो मैं ने भी कुछ बतलाने की पहल नहीं की.

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