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फौल का काम पूरा कर विनी हलदी की रस्म की तैयारी में लगी थी. बड़े से थाल में हलदी मंडप में रख रही थी. तभी काजल दीदी ने उसे आवाज दी. विनी उन के कमरे में पहुंची. दीदी के हाथों में बड़े सुंदर झुमके थे. दीदी ने झुमके दिखाते हुए पूछा, ‘ये कैसे हैं, विनी? मैं तेरे लिए लाई हूं. आज पहन लेना.’

‘मैं ये सब नहीं पहनती, दीदी,’ विनी झल्ला उठी. सभी को मालूम था कि विनी को गहनों से बिलकुल लगाव नहीं है. पर दीदी और काकी तो पीछे ही पड़ गईं. दीदी ने जबरदस्ती उस के हाथों में झुमके पकड़ा दिए. गुस्से में विनी ने झुमके ड्रैसिंग टेबल पर पटक दिए. फिसलता हुआ झुमका फर्श पर गिरा. दरवाजे पर खड़ा अतुल ये सारी बातें सुन रहा था. तेजी से बाहर निकलने की कोशिश में वह सीधे अतुल से जा टकराई. उस के दोनों हाथों में लगी हलदी के छाप अतुल की सफेद टीशर्ट पर उभर आए.

वह हलदी के दाग को हथेलियों से साफ करने की कोशिश करने लगी. पर हलदी के दाग और भी फैलने लगे. अतुल ने उस की दोनों कलाइयां पकड़ लीं और बोल पड़ा, ‘यह हलदी का रंग जाने वाला नहीं है. ऐसे तो यह और फैल जाएगा. आप रहने दीजिए.’ विनी झेंपती हुई हाथ धोने चली गई.

बड़ी धूमधाम से काजल की शादी हो गई. काजल की विदाई होते ही विनी को अम्मा के साथ दिल्ली जाना पड़ा. कुछ दिनों से अम्मा की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. डाक्टरों ने जल्दी से जल्दी दिल्ली ले जा कर हार्ट चैकअप का सुझाव दिया था. काजल की शादी के ठीक बाद दिल्ली जाने का प्लान बना था. काजल की विदाई वाली शाम का टिकट मिल पाया था.

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