मेरा बेटा जरा सा बड़ा क्या हुआ, सारे कोचिंग इंस्टिट्यूट्स की आंखों की किरकिरी बन गया. आज तक सुना था कि बेटियां बड़ी होती हैं तो मांबाप की नींद उड़ जाती हैं पर आजकल तो इन कोचिंग इंस्ट्टियूट वालों ने मेरी नींद उड़ा रखी है. अभी बेचारे ने 10वीं के पेपर दिए ही हैं और ये बरसाती काई की तरह उसे अपने इंस्टिट्यूट में दाखिला देने को मरे जा रहे हैं. मैं खुश था कि मेरा बेटा बड़ा होनहार है, तभी अलगअलग जगह से उस के ऐडमिशन के लिए फोन पर फोन आ रहे हैं. मुझे आज भी याद है वह दिन जब मेरे मोबाइल की घंटी बजी और उधर से अति पढ़ेलिखे सज्जन ने कहा, ‘‘आप मयंक के पिताजी बोल रहे हैं?’’

अब इस से बड़ा गौरव किसी पिता के लिए क्या होगा कि वह अपने बच्चे के नाम से जाना जाए. तो मैं ने भी शान से कहा, ‘‘जी हां, बोल रहा हूं. आप कौन?’’

‘‘जी, मैं कोचिंग इंस्ट्टियूट से बोल रहा हूं.’’ मैं चौंक गया कि मेरे बेटे ने तो इस बाबत कोई चर्चा नहीं की.

खैर, ‘‘कहिए?’’ मैं ने पूछा.

‘‘आप का बेटा 10वीं में आ गया. आप ने उस के भविष्य के बारे में कुछ तो सोचा ही होगा?’’ मेरा मन किया पहले तो उसे धन्यवाद दूं मुझे यह बताने के लिए कि मेरा अपना बेटा 10वीं में आ गया और उस पर मेहरबानी तो देखो, उस के भविष्य के बारे में भी सोच रहा है. मैं तो बस निहाल ही हो गया.

‘‘नहीं, अभी तो हम ने कुछ नहीं सोचा.’’

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