सच ही कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार ही नहीं होती. फिर वह काम आपकी शारीरिक व मानसिक शक्ति के परे ही क्यों ना हों. कोशिश करने वाले को ही सफलता मिलती है. इस मुहावरे की जीती जागती मिसाल को सही मायनों में सही साबित किया है भारत के जम्मू कश्मीर के एक युवा विकलांग क्रिकेटर ने.

आमिर हुसैन नाम के इस क्रिकेटर के हाथ नहीं हैं, लेकिन बिना बाजुओं के भी यह क्रिकेटर गजब की क्रिकेट खेलता है. इसकी हिम्मत लोगों के लिए बड़ी प्रेरणा बनकर उभरी है. 8 साल की उम्र में आमिर को अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे.

यह बात साल 1997 की है जब आमिर अपने पिता की आरामशीन में अपने भाई को दोपहर का खाना देने गए थे. इसी दौरान उनके साथ एक दुर्घटना घट गई और उन्हें अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े. इस दौरान आमिर को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा.

इस दुर्घटना की वजह से उनके क्रिकेटर बनने के सपने को गहरा धक्का लगा और साथ ही उनका भविष्य भी अधर में लटक गया. लेकिन आमिर ने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर से क्रिकेट की ओर कदम बढ़ा दिए.

आमिर अब 26 साल के हैं और वह जम्मू कश्मीर राज्य की पैरा क्रिकेट टीम के कप्तान हैं. आमिर बल्लेबाजी करने के दौरान बैट अपने कंधों और गर्दन के बीच रखते हैं और अपने पैर से गेंदबाजी करते हैं. साथ ही अपने पैरों से ही थ्रो फेंकते हैं. वास्तव में यह देखकर इस क्रिकेटर के जज्बे को सलाम किया जाना चाहिए.

इस दुर्घटना के बाद आमिर के घरवालों ने उनका बखुबी साथ निभाया और साथ ही उन्हें कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. उनके परिवार ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया.

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