भ्रष्टाचार के बाद भी आईपीएल की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है. क्रिकेट में स्पौट फिक्ंसग की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही जांच में बेईमानी, भ्रष्टाचार सामने आने के बावजूद इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल का जोश उफान पर है. इस बार टूर्नामैंट की शुरुआत संयुक्त अरब अमीरात में हुई और भारत में आम चुनावों के बावजूद क्रिकेट का रोमांच घटा नहीं. लोग घरों में टैलीविजन से चिपके देखे जा सकते हैं. सड़कों, गलियों, बाजारों, घरों, दफ्तरों में क्रिकेट की ही ज्यादा चर्चा है. देश का भविष्य तय करने वाले चुनावों के बजाय लोग बुराइयों से भरे क्रिकेट में अधिक डूबे हुए हैं. दुनियाभर के सटोरिए, अंडरवर्ल्ड के बिचौलिए, बेईमान, टीम कारोबारी और नीलामी में खरीदे गए घुड़दौड़ के घोड़े मैदान में हैं. तमाशबीन लोग खिलाडि़यों के करतबों पर तालियां पीट कर धन्य हो रहे हैं.

आईपीएल के नाम पर अंडरवर्ल्ड माफिया, सट्टेबाज, चंद बेईमान व्यापारी, भ्रष्ट राजनीतिबाज, लालची खिलाड़ी और बिचौलियों के गठजोड़ वाला कलंकित क्रिकेट देशदुनिया को फिर से लुभाने में कामयाब दिख रहा है. 47 दिन तक चलने वाले इस टूर्नामैंट के आयोजन को सरकारें पूरी शह दे रही हैं. क्रिकेट संचालित करने वाली संस्थाएं पूरी तरह न्योछावर हैं. चोरों, बेईमानों, भ्रष्टाचारियों के इस खेल में ‘उत्कृष्ट योगदान’ के लिए सरकार पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण और देश के सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न की रेवडि़यां बांट रही है.

क्रिकेट के प्रति पागलपन

इस बार 16 अप्रैल से 1 जून तक चलने वाले आईपीएल का पहला चरण, भारत में आम चुनावों की वजह से, संयुक्त अरब अमीरात में शुरू हुआ. 16 से 30 अप्रैल तक दुबई, शारजाह, अबूधाबी में होने के बाद 2 मई से भारत में चल पड़ा लेकिन बदनामी के बाद भी क्रिकेट के तमाशबीनों का जोश ठंडा नहीं हुआ. क्रिकेट के प्रति पागलपन का आलम यह है कि मतदान और जरूरी कामधाम छोड़ कर भीड़ स्टेडियमों की ओर भाग रही है.

मजे की बात है कि क्रिकेटप्रेमियों में खेल, खिलाड़ी की ही चर्चा है, खेल के पीछे भ्रष्टाचार, बेईमानी की जरा भी नहीं. यानी खेल में सब जायज मान लिया गया है. तभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के चेयरमैन पद से हटाए गए एन श्रीनिवासन, उन के दामाद एवं चैन्नई टीम से जुड़े गुरु मयप्पन की संलिप्तता पर कोई चर्र्चा नहीं, स्पौट फिक्ंसग के चलते पकड़े गए खिलाडि़यों की कोई बात नहीं, सटोरियों, बिचौलियों, बौलीवुड सितारों और कौर्पोरेट कंपनियों की बेईमानी की कहीं निंदा नहीं.

मैच फिक्सिंग की जांच

क्रिकेटप्रेमियों पर इस बात का कोई फर्क पड़ता नहीं दिखता कि आईपीएल में मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी की जांच मुद्गल कमेटी कर रही है और उस की प्रारंभिक जांच में क्रिकेट से जुड़े कई दिग्गज बेपरदा हो चुके हैं. सीधे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही जांच में आईपीएल में सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग मामले की जांच अब मुद्गल कमेटी ही करेगी. कमेटी एन श्रीनिवासन और कुछ प्रमुख खिलाडि़यों सहित 12 अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच करेगी. अदालत ने आईपीएल के आयोजन का अस्थायी जिम्मा पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर को सौंपा है.

क्रिकेट को संचालित करने वाली संस्था बीसीसीआईर् टीम मालिकों को बचाने की भरसक कोशिशें करती रही और अपनी ओर से जांच समिति बना कर वह बड़े पदाधिकारियों को बेकुसूर साबित कर चुकी है पर इस जांच समिति को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था और जस्टिस मुद्गल से आगे जांच करने को कह दिया है.

दरअसल, पिछले साल मई में 3 खिलाडि़यों की गिरफ्तारी के साथ मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी का भंडाफोड़ हुआ था. दिल्ली पुलिस ने सट्टेबाजों और कुछ खिलाडि़यों की टैलीफोन बातचीत के टेप सुने तो क्रिकेट की कई हस्तियों के नाम निकल कर सामने आए.

गिरफ्तार खिलाडि़यों में राजस्थान रौयल के श्रीसंत, अजित चंदीला और अंकित चव्हाण थे. इन के साथ ही बीसीसीआई चेयरमैन एन श्रीनिवासन और चैन्नई सुपर किंग्स से जुड़े उन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन के नाम भी सामने आए. राजस्थान रौयल की मालिक शिल्पा शेट्टी व राज कुंद्रा पर भी उंगलियां उठीं लेकिन बीसीसीआई ने केवल खिलाड़ियों के खिलाफ ही प्रतिबंध की कार्यवाही की. राजस्थान रौयल के मालिक राज कुंद्रा, चैन्नई सुपर किंग्स से जुड़े गुरुनाथ मयप्पन पर कोई कार्यवाही नहीं की.

मैच फिक्सिंग उजागर होने के बाद खेल जगत में हल्ला मचा तो तीनों खिलाडि़यों को तुरंत निकाल बाहर कर दिया गया. आईपीएल संचालित करने वाली संस्था बीसीसीआई सकते में आ गई और आईपीएल के कर्ताधर्ताओं को सांप सूंघ गया. सरकार में बैठे राजनीतिबाज साफसुथरे क्रिकेट की बातें करने लगे और कानून बनाने का ढोंग करते सुने गए. संसद में आईपीएल को बंद करने की मांग भी उठी पर अब तक किया कुछ नहीं गया.

बीसीसीआई अध्यक्ष झूठ बोलते पकड़े गए. उन्होंने खिलाडि़यों की गिरफ्तारी के बाद प्रैस कौन्फ्रैंस कर अपने दामाद और चैन्नई सुपर किंग्स के गुरुनाथ मयप्पन के सट्टेबाजों के साथ पकड़े जाने पर सफाई दी, कहा था कि दामाद के साथ उन का किसी तरह का संबंध नहीं है.

स्वार्थी गठजोड़

तीनों खिलाडि़यों की गिरफ्तारी के बाद फिल्म अभिनेता दारा सिंह का बेटा विंदू दारा सिंह पकड़ा गया तो उस ने सब से पहले गुरुनाथ मयप्पन का नाम लिया. उस ने साफ कहा था कि यह सारा खेल काले चोरों का है. विंदू ने पाकिस्तानी अंपायर असद रऊफ की ओर भी संकेत किया था. असद पहले भी विवादों में रहे हैं. वे सट्टेबाजों, दलालों से महंगे उपहार लेते रहे. विंदू के खुलासे के बाद अंडरवर्ल्ड, कौर्पोरेट, बौलीवुड और क्रिकेटरों का नापाक गठजोड़ सामने आया जिस से लोग भौचक्के रह गए.

सियासीबाजों की अगुआई में चल रहे इस क्रिकेट में वे कंपनियां शामिल नहीं हैं जो अपने औद्योगिक और प्रबंधन कौशल के लिए जानी जाती हैं. इस में भ्रष्ट नेताओं से सांठगांठ कर सरकारी ठेके हथियाने वाली, टैक्स चोरी करने वाली, धोखाधड़ी, बेईमानी में फंसी कंपनियां शामिल हैं जो नीलामी में खिलाडि़यों की खरीदफरोख्त कर महज मुनाफा कमाने उतरी हैं. इन में शराब कारोबारी विजय माल्या की कंपनी दिवालिया हो गई थी जो अपने कर्मचारियों को महीनों तक तनख्वाह नहीं देती थी. धोखाधड़ी के चलते जेल में बंद सहारा समूह के मालिक सुब्रत राय की भी पुणे टीम में हिस्सेदारी थी. राज कुंद्रा पर सट्टेबाजी से पैसा कमाने के आरोप लगते रहे हैं.

क्रिकेट टूर्नामैंट के दौरान दुनियाभर में सटोरिए, दलाल सक्रिय हो जाते हैं. इन का सारा नैटवर्क दुनियाभर के देशों से जुड़ा रहता है. पुलिस के दावों पर विश्वास करें तो आईपीएल में सट्टेबाजी का 50 हजार करोड़ रुपए का कारोबार है.

अरबों डौलर के इस खेल की खासीयत यह है कि विनर और रनर की तो चांदी है ही, हारने वाली हर टीम भी भारी मुनाफे में रहती है. उसे किसी तरह का कोईर् नुकसान नहीं होता. सभी फ्रैंचाइजी भारी फायदे में रहती हैं. इस बार आईपीएल में 8 टीमें भाग ले रही हैं. कोलकाता नाइटराइडर्स के मालिक फिल्म अभिनेता शाहरुख खान, जयपुर व पंजाब की टीमों की सह- मालकिन फिल्म अभिनेत्रियां शिल्पा शेट्टी व प्रीटि जिंटा हैं. रौयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम के मालिक शराब कारोबारी विजय माल्या थे. मुंबई इंडियंस के मालिक देश के सब से अमीर मुकेश अंबानी हैं. कोच्चि टीम की हिस्सेदार केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर के विवाद में आने के बाद थरूर को मंत्री पद गंवाना पड़ा था लेकिन बाद में उन्हें वापस ले लिया गया.

पिछले कुछ समय से यह प्रतियोगिता टैक्स न देने के कारण भी चर्चा में रही. सरकार के साथ विवाद भी हुए. बीसीसीआई को आईपीएल के चलते दुनियाभर के कई क्रिकेट संघों के साथ कई बार संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड़ा. विवाद का कारण यह था कि जिन खिलाडि़यों ने आईपीएल के साथ अनुबंध कर रखा है उन्हें अपने देश के लिए भी उपलब्ध रहना चाहिए.

विवादों में आईपीएल

आईपीएल की शुरुआत अमेरिका से भाग कर आए कारोबारी ललित मोदी ने 2008 में की थी. वे मध्यवर्ग के लोगों को मनोरंजन से लुभा कर पैसा कमाना चाहते थे. आईपीएल के लिए पहली बार टीम की जगह फ्रैंचाइजी की नीलामी की गई. हर फ्रैंचाइजी में खिलाडि़यों की कीमत तय हुई. फ्रैंचाइजी के मालिकों ने खिलाडि़यों की हैसियत के मुताबिक बोली लगाई. खिलाडि़यों की खरीदफरोख्त की गई.

ललित मोदी ने कौर्पोरेट, बौलीवुड, राजनीति और अंडरवर्ल्ड के गठजोड़ को काली कमाई का अवसर मुहैया कराया पर वे इस खेल में अधिक समय तक न रह पाए. ललित मोदी पहले 3 साल तक आईपीएल के कर्ताधर्ता रहे. बाद में 2 फ्रैंचाइजी के साथ विवादों से उन के नाम का करार रद्द होने और 8 खिलाडि़यों के स्पौट फिक्सिंग में निलंबन की वजह से वे आईपीएल से बाहर कर दिए गए.

कैसे होती है मैच फिक्सिंग

असल में दुबई, शारजाह जैसे देशों में बैठे अंडरवर्ल्ड के लोग अपने दलालों के माध्यम से खिलाडि़यों से संपर्क साधते हैं. उन से दोस्ती गांठते हैं. महंगी पार्टियों का आयोजन कर उन्हें आमंत्रित करते हैं. पार्टियों में महंगी शराब परोसी जाती है और खूबसूरत लड़कियों को भी बुलाया जाता है. इस चकाचौंध और लालच में कई खिलाड़ी आ जाते हैं और बिचौलिए अपनी मनमरजी का काम कराने के लिए सौदेबाजी करने में कामयाब हो जाते हैं. बदले में खिलाडि़यों को मोटा पैसा, सुंदर लड़कियां, महंगे गिफ्ट दिए जाते हैं.

पहले से ही फिक्स इस सौदे के बल पर बड़ेबड़े सट्टेबाज सट्टेबाजी के भाव तय कर लेते हैं. चूंकि उन्हें नतीजे का पहले से ही पता होता है, इसलिए बाजी जीत कर वे लाखोंकरोड़ों कमाते हैं.

असल में खिलाडि़यों को सजा देने से कुछ नहीं होगा. आईपीएल के खिलाडि़यों की हालत तो घुड़दौड़ के उस घोड़े की तरह है जिस पर बाहर बैठे लोग दांव लगाते हैं. मध्यवर्ग से आने वाले ये खिलाड़ी तो और मिल जाएंगे. असली खेल तो चंद बेईमान व्यापारी भ्रष्ट राजनीतिबाजों के साथ मिल कर  संचालित कर रहे हैं.

आईपीएल करोड़ों का है लेकिन खिलाडि़यों और आयोजकों की जिम्मेदारी कौड़ी की नहीं है. असल में हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां पहले से ही बहुत गैर बराबरी है. खिलाडि़यों की करोड़ों की बोली लगती है. कोई 12 करोड़ में बिक रहा है तो किसी की कीमत डेढ़ करोड़ ही लग रही है. वह भी तबजब दुनिया देख रही है कि इस पर गोरखधंधे और सट्टेबाजी के आरोप लगते रहे हैं और टीम के खिलाड़ी व मालिक सट्टेबाजी में लिप्त पाए गए हैं. दरअसल, मध्यवर्ग को तमाशों में बहला कर चतुर लोग अपना स्वार्थ साध रहे हैं.

क्रिकेट पर सवाल

ऐसे में यह सवाल उठाना लाजिमी है कि क्रिकेट का खेल देश को क्या दे रहा है सिवा बुराइयों के, वक्त की बरबादी के. अमेरिका, यूरोप, चीन, जापान, जरमनी जैसे देश तरक्की के लिए किसी क्रिकेट जैसे खेल के मुहताज नहीं हैं. क्रिकेट खेल कर भारत ने कौन सा तीर मार लिया? पद्म पुरस्कार और भारतरत्न पाने वाले क्रिकेट खिलाडि़यों ने देश, समाज को क्या दिया? कौन से सामाजिक, आर्थिक सुधार कर दिए? सचिन तेंदुलकर को भारतरत्न देने के लिए इस सम्मान के नियमकायदों में परिवर्तन कर के खेल को शामिल कराया गया. महज इसलिए कि चुनावों में इस खिलाड़ी की लोकप्रियता को पक्ष में भुनाया जा सके.

सचिन को भारतरत्न दिया गया. क्या उन्होंने क्रिकेट पर लगे कलंक के दागों से उस खेल को उबार लिया? क्या क्रिकेट में अरसे से चल रही सट्टेबाजी को खत्म करा दिया? क्या क्रिकेट व अन्य खेलों को भ्रष्ट राजनीतिबाजों, बेईमान कारोबारियों के चंगुल से मुक्त करा दिया? सचिन तेंदुलकर को देश का सर्वोच्च सम्मान उस खेल के लिए मिला जो अंडरवर्ल्ड माफिया, सट्टेबाजी, भ्रष्टाचार, बेईमानी के लिए बदनाम है. ठीक है कि सचिन ने क्रिकेट में दुनियाभर के दूसरे खिलाडि़यों की अपेक्षा अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन उन उपलब्धियों से किस को, क्या सार्थक फायदा मिला? क्या भारतरत्न की गरिमा को गिराया नहीं गया?

क्रिकेट पर सट्टेबाजी, मैच फिक्सिंग के आरोप 2 दशक पहले से ही लगते आए हैं. सट्टेबाजों के लिए यह फायदेमंद रहा है. करीब ढाई दशक पहले शारजाह में एक कारोबारी ने भारत पाकिस्तान के बीच क्रिकेट टूर्नामैंट का आयोजन शुरू किया था. उस में व्यापारी की तरफ से खिलाडि़यों को काफी पैसा दिया जाता था. भारत पाकिस्तान के मैचों में वैसे भी काफी रोमांच होता है. तब इसे मुरगे लड़ाने का खेल करार दिया गया था. इन मैचों पर जम कर खुलेआम सट्टा लगता था. स्टेडियम में मैच देखने के लिए अंडरवर्ल्ड के लोग भी मौजूद रहते थे. बौलीवुड के सितारों

को खासतौर से आमंत्रित किया जाता था. मैच फिक्सिंग का खेल भी यहीं शुरू हो गया था. चीयरलीडर्स को बुला कर क्रिकेट में चकाचौंध को बढ़ावा दिया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को जुटाया जा सके.

दरअसल, भ्रष्ट, भुक्खड़ देशों के चंद बेईमान, व्यापारी, नेता, बिचौलिए, सट्टेबाज और नशे के कारोबारी मिल कर दुनिया को क्रिकेट तमाशे के नाम पर बरबादी की ओर धकेल रहे हैं. आईपीएल सट्टेबाजों, दलालों, टीम व्यापारियों और आंख मूंदे बैठे आयोजकों के लिए सोने का अंडा साबित हो रहा है पर बाकी देश को क्या मिल रहा है? इंटरटेनमैंट तलाश रहे लोगों को यह सोचनेसमझने की फुरसत नहीं है. इन्हीं लोगों की वजह से यह बदनाम खेल परवान चढ़ रहा है.

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