कबड्डी एक ऐसा खेल है जिसे प्रमुख रूप से भारत में खेला जाता है. 4000 साल पुराना यह खेल बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल है. प्रायः खुले मैदान में खेला जाने वाले इस खेल के इतिहास का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है. लेकिन ऐसा माना जाता है कि जब मनुष्य में आत्मरक्षा और शिकार की भावना विकसित हुई तभी से इस खेल को खेला जाने लगा.

यह एक ऐसा खेल है जिसे भारत में ही अलग-अलग नाम से जाना जाता है. इसे उत्तर भारत में कबड्डी, दक्षिण में चेडु-गुडु तो पूरब में हु तू तू के नाम से जाना जाता है. भारत के पड़ोसी देशों में भी कबड्डी बड़े पैमाने पर खेली जाती है. इसे बांग्लादेश में हा-दो-दो, तो श्रीलंका में गुड्डु और थाईलैंड में थीचुबा नाम से जाना जाता है.

कबड्डी एक ऐसा खेल है जिसे भारत में हर उम्र का व्यक्ति खेलता है और खेलना चाहता है फिर चाहे वह बच्चा हो या युवा. यह कहना गलत नहीं होगा कि कबड्डी ही एसी खेल है जिसे भारत का हर एक बच्चा जानता होगा और बचपन में इस खेल का लुत्फ भी उठाया होगा.

यूं तो यह खेल काफी पुराना है लेकिन इसे लोकप्रियता और औपचारिकता प्रदान करने का श्रेय महाराष्ट्र के विभिन्न सामाजिक संगठनों को जाता है. 1918 में कुछ सामान्य नियम बनाए गए और प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं. लेकिन कबड्डी के नियमों के औपचारिक गठन औऱ प्रकाशन का ऐतिहासिक कदम 1923 में भारतीय ओलंपिक संघ के नेतृत्व में उठाया गया. कबड्डी का पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रर्दशन 1936 में बर्लिन ओलंपिक में किया गया. आज कबड्डी को लोकप्रिय बनाने और अंतराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए नियमों में कई बदलाव किए जा रहे हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...