बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड की रहने वाली जब इंदु ब्याह कर अपने ससुराल में आईं, तो वहां भी उन्हें माहवारी में गंदे कपड़े ही इस्तेमाल करने को मिलता. इसी दौरान उन्होंने टीवी पर एक इश्तिहार देखा, जिस में यह बताया जा रहा था कि माहवारी में गंदे कपड़ों के इस्तेमाल से इंफैक्शन और गर्भाशय के कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों तक से जू झना पड़ सकता है.
उस इश्तिहार में यह भी बताया गया कि यह संक्रमण अंदरूनी अंगों में किसी प्रकार के घाव होने, बदबूदार पानी निकलने, दर्द, दाने या खुजली के रूप में हो सकता है, जिस की वजह से असामान्य रूप से स्राव होने लगता है, जो कमर व पेड़ू के दर्द का कारण बनता है. इस से कभीकभार अंदरूनी अंगों में अधिक संक्रमण की वजह से बदबूदार सफेद पानी भी आने लगता है और सेहत पर बुरा असर पड़ता है.
इसी दौरान साल 2018 में उन के गांव में आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम (भारत) और एक्सिस बैंक फाउंडेशन के जरीए पिछड़े तबके की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और बचत की आदतों को बढ़ावा देने के लिए स्वयंसहायता समूह बनाया जा रहा था. इंदु को जब इस बात की जानकारी हुई, तो उस ने भी समूह की बैठक में जाने का फैसला किया. चूंकि इंदु सम झदार और जागरूक हैं, इसलिए बाकी महिलाओं ने उन्हें समूह का अध्यक्ष बना दिया.
इंदु ने महिलाओं को बताया कि महीने के उन मुश्किल दिनों में खराब कपड़ों के इस्तेमाल से कई जानलेवा बीमारियां होती हैं, इसलिए सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करना चाहिए. इस के बाद पता चला कि कई महिलाओं को सैनेटरी पैड के बारे में जानकारी ही नहीं थी.
चूंकि गांव में सैनेटरी पैड की उपलब्धता नहीं थी, इसलिए गांव में ज्यादातर महिलाएं घर में पड़े फटेपुराने कपड़े, कपड़ों के टुकड़े, सूखी घास, रेत या राख जैसी चीजों का इस्तेमाल करती थीं. इसी दौरान इंदु ने साफसफाई पर एक फिल्म भी देखी, जिस का नाम था ‘पैडमैन’. इस फिल्म में सैनेटरी पैड बनाने की बेहद सस्ती मशीन का जिक्र किया गया था.
फिर तो इंदु ने यह फैसला कर लिया कि वह अब खुद ही गांव में महिलाओं के साथ मिल कर सैनेटरी पैड बनाने की मशीन लगाएंगी, जिस से लोकल लैवल पर आसानी से सस्ते दर पर सैनेटरी पैड की उपलब्धता हो सके.
आगा खान ग्राम समर्थन से बन गई बात
इसी दौरान एकेआरएसपीआई (भारत) के लोगों के साथ इंदु ने अपनी समस्या सा झा की, तो संस्था ने माहवारी के मसले पर इंदु जैसी महिलाओं की इस समस्या को गंभीरता से लिया और इंदु के स्वयंसहायता समूह को आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम (भारत) और एक्सिस बैंक फाउंडेशन के सहयोग से मशीन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया.
एकेआरएसपीआई (भारत) की पहल से गांव की महिलाओं द्वारा शुरू किए गए सैनेटरी पैड उत्पादन यूनिट में आज के दिन में दर्जनों गांवों व स्कूलों की महिलाओं व लड़कियों के लिए जरूरतभर का सैनेटरी पैड उत्पादन किया जा रहा है.
महिलाओं की राह की आसान
पूसा प्रखंड के चंदौली गांव में इंदु देवी, समूह की बाकी महिलाएं रिंकी देवी, रिंकू देवी, रिंकू कुमार, सीता देवी, रूबी देवी आदि के साथ मिल कर सखी सहेली सैनेटरी पैड प्रोडक्शन यूनिट चला रही हैं, जिस से महिलाओं को बाजार दर से काफी सस्ते में महज 25 रुपए में अच्छी क्वालिटी का सैनेटरी पैड मिल पा रहा है.
उत्पादन यूनिट से जुड़ी महिलाएं सैनेटरी पैड निर्माण के साथ ही उसे आसपास के गांवों में घरघर महिलाओं तक पहुंचाती हैं. इस के अलावा ये महिलाएं स्कूली लड़कियों को स्कूलों के जरीए पैड मुहैया करा रही हैं. साथ ही, आशा वर्कर, आंगनबाड़ी के जरीए भी महिलाओं में पैड के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही हैं.
महिलाओं की बढ़ी आमदनी
सरिता देवी का कहना है कि जब से गांव में सैनेटरी पैड का उत्पादन शुरू हुआ है, तब से समूह की महिलाओं को पैड बेच कर अच्छी आमदनी हो जाती है. रीना देवी का कहना है कि पहले अकसर गांव और आसपास की महिलाओं व लड़कियों को माहवारी में साफसफाई न बरतने से कई बीमारियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन सैनेटरी पैड के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलने से बीमारियों पर होने वाले खर्च पर कमी आने से पैसे की बचत हो रही है.
इस समूह की रिंकू देवी का कहना है कि सालभर में मुश्किल से सैनेटरी पैड पर 300 रुपए खर्च कर हम महिलाओं में होने वाले इंफेक्शन और कैंसर जैसी बीमारियों की रोकथाम कर इस के इलाज पर होने वाले खर्च को बचा सकते हैं.
माहवारी से जुड़े अंधविश्वास में आई कमी
एकेआरएसपीआई (भारत) के बिहार प्रदेश के रीजनल मैनेजर सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि बिहार में माहवारी को ले कर कई तरह की भ्रांतियां और अंधविश्वास हैं.
माहवारी के दौरान महिलाओं को रसोईघर में जाने पर भी पाबंदी होती है. वे घर के पुरुषों को नहीं छू सकतीं और अचार के छूने पर भी रोक है. ऐसे में अगर स्कूल में पढ़ने वाले युवाओं को इस मुद्दे पर बात कर सही जानकारी दी जाए, तो माहवारी स्वच्छता को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है. –