बढ़ते शहरीकरण ने देश में कंक्रीट के ऐसे जंगल खड़े कर दिए हैं जिस ने लोगों से उन के घरों के आसपास घूमने की जगहें छीन ली हैं. छुट्टियों के दिन सार्वजनिक स्थानों पर अत्यधिक भीड़ का उमड़ना यानी मोरबी जैसी घटनाएं इसी का नतीजा है. गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर ब्रिज के टूटने से 135 लोगों की मौत हो गई. इन 135 में से 54 बच्चे थे. गुजरात के इतिहास का यह अब तक का सब से बड़ा पुल हादसा है, जिस में इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हुई.

यह हादसा 30 अक्तूबर को शाम साढ़े 6 बजे हुआ. ब्रिटिश टाइम के बने जिस मच्छू पुल पर एक वक्त में सौ से अधिक लोगों को जाने की मनाही थी, उस पर 700 से ज्यादा लोग चढ़े हुए थे. गलती सरकार से ले कर टिकट बेचने वाले और पुल का प्रबंधन संभालने वालों की भी थी, जो अधिक से अधिक संख्या में टिकट बेच कर पैसा कमाने के लालच में लोगों की जान से खेल रहे थे. लोग 21 रुपए का टिकट 50 रुपए में खरीद कर पुल पर पहुंच गए थे. बच्चे उत्साह से उछलकूद मचा रहे थे, युवा सैल्फियां निकाल रहे थे, वीडियो बना रहे थे तो कुछ जोर लगा कर पुल को झुलाने की कोशिश में जुटे थे.

अचानक एक तरफ से पुल की स्ट्रिंग टूटी, पलक झपकते पुल 2 भागों में टूट गया और 700 लोग नीचे गहरी नदी में समा गए. जो तैरना जानते थे उन्होंने तैर कर अपनी जान बचा ली. कुछ जो टूटे पुल के हिस्से पकड़ कर झूल गए, वे भी किसी तरह बचा लिए गए. आसपास के बचावकर्मियों ने भी कइयों की जानें बचाईं मगर अनेक महिलाएं और मासूम बच्चे गहरी नदी में समा गए. घटना के 2 दिनों बाद तक बचाव दल नदी में से लाशें निकालते रहे. कुछ तो ऐसे डूबे कि उन की लाशें भी नहीं मिलीं. इस से पहले 3 अक्तूबर को भदोही-औराई मार्ग पर स्थित दुर्गा पूजा पंडाल में भीषण आग ने पूरे जिले को झक झोर कर रख दिया था. पंडाल स्थल पर प्रोजैक्टर पर धार्मिक कार्यक्रम चल रहा था.

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