सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए की वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को एक लंबाचौड़ा होमवर्क दे दिया है. कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार बताए कि उस ने -

- देश की सीमा को सुरक्षित बनाने के लिए क्याक्या कदम उठाए हैं और क्या कर रही है ?
- बौर्डर के कितने एरिया में तार का बाड़ क‍िया गया है और इस के लिए कितना पैसा सरकार ने अब तक निवेश किया है?
- अधिनियम की धारा 6ए के तहत सिर्फ असम में ही आने वाले बांग्लादेशियों के लिए क्यों भारतीय नागरिकता का प्रावधान किया गया? पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों को क्यों छोड़ दिया गया?
- क्या सरकार के पास ऐसा डेटा उपलब्ध है कि बांग्लादेश से असम आने वाले लोगों की तादाद पश्चिम बंगाल की अपेक्षा ज्यादा थी?

कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा है कि -

- असम में कितने फौरेन ट्रिब्यूनल है?
- ट्रिब्यूनल के सामने कितने केस पेंडिंग हैं?
- 1 जनवरी 1966 से पहले असम आने वाले कितने प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी गई है ?
- जनवरी 1966-71 के बीच बांग्लादेश से असम आने वाले कितने प्रवासियों को भारत की नागरिकता मिल पाई?
- 25 मार्च 1971 के बाद कितने लोग बांग्लादेश से असम आये?
- जो लोग 1971 के बाद असम आए, उन्हें वापस भेजने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए ?

नागरिकता अधिनियम की धारा-6ए के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट का ज्यादा जोर यह जानने पर था कि बार बार एनआरसी और सीएए का डर जनता को दिखाने वाली केंद्र की बीजेपी सरकार ने आखिर देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

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