‘‘कुलदीप सिंह, तुम्हारा भांडा फूट चुका है.’’ पुलिस अफसर ने कड़क लहजे में कहा, ‘‘हम तुम्हें युवराज सिंह को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार करने आए हैं.’’
‘‘भक्त, तुम भोले हो. तुम्हें हमारे बारे में किसी ने गलत सूचना दी है.’’ कुलदीप सिंह ने पुलिस अफसर को अपनी मीठी बातों से फुसलाने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘हम तो माताजी हैं, माताजी मतलब मातेश्वरी.’’
‘‘न तो मैं तुम्हारा कोई भक्त हूं और न तुम कोई मातेश्वरी हो.’’ पुलिस अफसर ने सख्ती से कुलदीप सिंह को बांह पकड़ कर उठाते हुए कहा, ‘‘औरत का वेश धारण कर के तुम लोगों को बेवकूफ बनाते हो, खुद को लिपस्टिक बाबा और माताजी बताते हो.’’
‘‘साहब, मेरी बात तो सुनो,’’ कुलदीप सिंह गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘मैं ने कोई अपराध नहीं किया है. मुझे थाने मत ले जाओ, मेरी सारी इज्जत खराब हो जाएगी. हजारों लोग मेरे भक्त और अनुयाई हैं. वे मेरे बारे में बुराभला सोचेंगे.’’
‘‘अब ज्यादा नाटक करने की जरूरत नहीं है. चुपचाप चल कर बाहर खड़ी पुलिस की गाड़ी में बैठ जाओ, वरना हमें तुम्हारे जैसे पाखंडियों को ठीक करना आता है.’’ पुलिस अफसर ने उसे कमरे से बाहर निकालते हुए कहा.
कुलदीप सिंह ने खुद को देवी का रूप बता कर पुलिस टीम को अपने प्रभाव में लेने की काफी कोशिश की, लेकिन दाल गलती नहीं देख उस ने पुलिस के साथ जाने में ही भलाई समझी.
वह सिर नीचा कर अपने घर जय मां शक्ति पावन धाम से बाहर निकला. बाहर पुलिस की कई गाडि़यां खड़ी थीं. पुलिस टीम के कुछ लोग उन गाडि़यों में बैठे थे और कुछ हथियारबंद पुलिस वाले कुलदीप सिंह के मकान को घेरे खड़े थे.
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