समाज में हर त्योहार का अपना महत्व होता है. इनमें होली सबसे खास है क्योंकि इस में समाज का हर वर्ग रंग में सराबोर होकर उत्साह से भरा दिखता है. रंगों के इस त्योहार में किसी का भेदभाव नहीं होना चाहिए, तभी होली के रंग का उत्साह समाज को खुशहाल बना सकता है. होली में रंग खेलने के अलावा दूसरा सब से बड़ा महत्व होता है कि इसमें एकदूसरे से मिलने के लिए होली मिलन का आयोजन होता है.

वैसे तो यह आयोजन अलगअलग तरह से लोग करते हैं, अच्छी बात यह है कि ज्यादातर लोग बिना किसी भेदभाव के होली मिलन में एकदूसरे से मिलते हैं. होली मिलन एक तरह से समाज को एकजुट रहने का संदेश देता है.

जरूरत इस बात की है कि होली मिलन में सामाजिकता को और बढ़ावा दिया जाए. अभी हर वर्ग अपने अपने होली मिलन के समारोह आयोजित करता है. अगर ये खास वर्ग के लिए न होकर सभी के लिए हों तो इन की उपयोगिता बढ़ सकती है.

आज जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव व गैरबराबरी का दर्जा देने की बहुत घटनाएं हो रही हैं. ऐसे में अगर होली मिलन के बहाने सभी लोग जाति व धर्म के भेदभाव को छोड़ कर होली मिलन समारोह में हिस्सा लें तो भेदभाव कम होगा. सही माने में हर त्योहार का यही उद्देश्य होता है.

होली की खासीयत है कि रंग लगा कर, भेदभाव मिटा कर आपस में गले लगने का संदेश दिया जाए. होली के अलावा बाकी त्योहार ऐसे हैं जिन में लोग अपने नाते रिश्तेदारों या सगे संबंधियों के साथ ही मौजमस्ती करना पसंद करते हैं.

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होली अकेला ऐसा त्योहार है जिसमें लोग सड़क पर, पार्क में या घर के बाहर निकल कर रंग खेलते हैं. सबसे बड़ी बात इस त्योहार में कोई एक रंग नहीं रह जाता. सारे रंग मिलकर एक हो जाते हैं. ऐसे में रंगों की राजनीति करने वालों को भी समाज आईना दिखा देता है.

डांसमस्ती तक ही सीमित न रहें

जब होली मिलन की बात होती है तो होली के गाने और डांस के दृश्य याद आते हैं. डांस होली मिलन का प्रमुख हिस्सा होता है. यही वजह है कि होली के पहले ही बहुत सारे होली के गानों के म्यूजिक अलबम बनने लगते हैं. सबसे अधिक गाने लोकगीतों की धुन पर तैयार होते हैं. इनमें भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री सबसे ऊपर होती है.

गायिका खुशबू उत्तम कहती हैं, ‘‘भोजपुरी गीत और संगीत में लोकगीत की खुशबू होती है. जो लोग इस

बोली को नहीं भी समझते वे भी इस की धुन पर थिरकने लगते हैं. लोकगीत में छेड़छाड़, हासपरिहास सभीकुछ होता है.’’

होली मिलन के आयोजन में डांस के लिए और्केस्ट्रा जरूर बुलाया जाता है. यहां छोटेबड़े का भेद मिट जाता है. हर उम्र व जाति के लोग होली के गानों में बिना किसी भेदभाव के मजा लेते हैं.

समाज सुधार की दिशा में काम कर रहे युवा मनोज पासवान कहते हैं, ‘‘होली में केवल रंगों को ही मिलजुल कर नहीं खेला जाता. होली में तरहतरह के पकवान भी बनते हैं जिनको लोग आपस में मिलबांट कर खाते हैं. इस में जातिधर्म का भेदभाव नहीं रहता है.’’

सामाजिक होली मिलन समारोह होने से इस परंपरा को आगे बढ़ाया जा सकेगा और आधुनिक होते समाज को नया संदेश दिया जा सकेगा. होली का त्योहार तभी सार्थक हो सकेगा जब सभी लोग सारे भेदभाव भूल कर एकजुट हो कर होली का मजा लें. इससे एकदूसरे से संपर्क का रास्ता भी खुलता है. शहरी इलाकों में तो यह भेद कम हो रहा है लेकिन गांवों में इस को और बढ़ाने की कोशिश की जाती है.

नशे से दूर रहें

हर त्योहार का उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत होती है. होली के हुड़दंग को होली की बुराइयां बदरंग कर देती हैं. शराब, भांग या दूसरे किस्म का नशा करके होली खेलना बेकार होता है. इस कारण ही होली की ठिठोली, छेड़छाड़ में बदल जाती है. नशे में यह ध्यान नहीं रहता कि किस के साथ कैसे संबंध रखने हैं. कई लोग होली को छेड़छाड़ का अवसर मानते हैं, जिस वजह से परेशानियां बढ़ जाती हैं. इस तरह की घटनाओं का असामाजिक तत्त्व लाभ उठाते हैं. वे त्योहार को बदनाम करते हैं. रंग खेलने की आड़ में होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं में सब से अधिक घटनाएं नशे की हालत में ही होती हैं.

रंग खेलते समय यह ध्यान रखें कि जो आप से रंग खेलना चाहे उससे ही रंग खेलें. कई बार जबरन रंग खेलने से भी सामाजिकता खराब होती है. होली में जाति और धर्म के भेदभाव को खत्म करने की पहल सबको मिल कर करनी चाहिए. उन बस्तियों में जाकर लोगों को गले लगाना चाहिए जहां भेदभाव होता रहा है.

केवल होली के दिन या रंग खेलने के दौरान ही नहीं, होली के बाद सप्ताहभर तक होली की खुमारी और उमंग बनी रहती है. ऐसे में सामाजिक होली मिलन आयोजन करके समाज को एकजुट रखने का संदेश दिया जा सकता है. तभी होली का यह त्योहार अपने लक्ष्य में सफल हो सकता है.

होली में हंसी और ठिठोली के जरिए गंभीर प्रयास हो सकते हैं, जो दूसरे त्योहारों में संभव नहीं होते हैं. होली ऐसा त्योहार है जिस में लोककला का हर रंग मौजूद रहता है. जरूरत इस बात की है कि इस त्योहार को सही तरह से मनाया जाए. सामाजिक होली मिलन के जरिए इस भेदभाव को खत्म किया जा सकता है. होली का यही संदेश है जो सभी को सीखना और समझना होगा, तभी आपसी भेदभाव व मनमुटाव खत्म हो सकेगा. आज के दौर में इस की बहुत अधिक जरूरत है.

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