राहुल को इस इंटरव्यू कौल का बेसब्री से इंतजार था. करीब 2 सालों की मेहनत... पहले प्री फिर मेन ऐग्जाम और अब अंतिम सीढ़ी यानी इंटरव्यू. 15 दिनों से राहुल इस इंटरव्यू की तैयारी में जुटा था.

सुबहसुबह तैयार हो कर राहुल इंटरव्यू के लिए निकलने को हुआ तो दादी ने टोक दिया, ‘‘10 मिनट रुक जा. घर से सवा 8 बजे निकलना. तेरा काम सवाया होगा.’’

‘‘मगर दादी बस तो सवा 8 बजे तक निकल जाएगी,’’ राहुल को दादी का टोकना अच्छा नहीं लगा.

‘‘कोई बात नहीं, तू टैक्सी कर लेना,’’ दादी जिद पर अड़ गईं तो हार कर राहुल को सवा 8 बजे ही निकलना पड़ा. टैक्सी से निकला तो रास्ते में टैक्सी खराब हो गई और साथ ही उस का मूड भी. दूसरी टैक्सी लेने के चक्कर में लेट हो गया और अंत में हुआ यह कि उस का आत्मविश्वास कमजोर हो गया. इंटरव्यू के दौरान पूछे गए सवालों के सही जवाब आते हुए भी नहीं दे पाने के कारण उस का इंटरव्यू खराब हो गया. जिस नौकरी के लिए वह इतनी मेहनत से तैयारी कर रहा था वह उसे हाथ से निकलती लगी.

घर लौटते ही राहुल के लटके चेहरे ने सारी कहानी बिना कहे ही सुना दी. मगर दादी अब भी कहां हार मानने वाले थी. तुरंत बोलीं, ‘‘तू फिक्र मत कर. मैं ने बालाजी की सवामनी बोल दी है, देखना यह नौकरी तुझे ही मिलेगी और तेरी पहली तनख्वाह से मैं पैदल जा कर बालाजी को भोग लगा कर आऊंगी.’’

राहुल झुंझला गया. बोला, ‘‘दादी, अगर सवामनी से ही नौकरियां मिलने लगें तो लोग कोचिंग में महंगी फीस देने के बजाय मंदिरों में सवामनी ही करने लगें.’’

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