इसी साल 19 सितंबर की बात है. रोशनलाल यादव को बैंक में काम करते-करते काफी देर हो गई थी. रोशनलाल जयपुर में गवर्नमेंट हौस्टलचौराहे के पास स्थित सिटी बैंक की शाखा में मैनेजर थे. वैसे तो उन्हें आमतौर पर रोजाना ही शाम के 7-8 बज जाते थे. इस की वजह यह थी कि निजी बैंकों में सरकारी बैंकों की तरह सुबह 10 से शाम 5 बजे तक की ड्यूटी नहीं होती है. हालांकि निजी बैंकों में भी ड्यूटी आवर्स होते हैं, लेकिन सारी जिम्मेदारियां मैनेजर की होती हैं. इसीलिए उन्हें बैंक से निकलने में रात के साढ़े 8 बज गए थे.

दिन भर कामकाज करने और उच्चाधिकारियों के ईमेल, वाट्सऐप के जवाब देतेदेते रोशनलाल भी थक गए थे. काम की व्यस्तता में वह शाम की चाय भी नहीं पी सके थे. जोरों की भूख भी लग रही थी. वे जल्द घर पहुंच कर फ्रैश होने के बाद भोजन करना चाह रहे थे.

रोशनलाल ने बैंक के बाहर खड़ी अपनी कार निकाली और घर की ओर चल दिए. उन के साथ बैंक का एक कर्मचारी उन की कार में पानीपेच चौराहे तक साथ आया, वह पानीपेच चौराहे पर उतर गया.

रोशनलाल जयपुर के करधनी इलाके में गणेश नगर विस्तार कालोनी में पत्नी और बच्चों के साथ रहते थे. कोई पुराना गीत गुनगुनाते हुए रोशनलाल अपनी कार मध्यम रफ्तार से चला रहे थे. रास्ते में उन्हें सिगरेट पीने की तलब लगी तो अपने घर से करीब एक किलोमीटर पहले रास्ते में कार रोक दी. कार से उतर कर वह दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर के पास एक थड़ी पर सिगरेट लेने चले गए. सिगरेट ले कर वह अपनी कार में आ कर बैठे ही थे कि सामने से अचानक एक स्कूटी पर सवार 2 युवक तेजी से उन की कार के सामने आ गए.

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