उत्तराखंड के जिला उत्तरकाशी के तहत आने वाले गांव खट्टूखाल में रहने वाले सुमेर सिंह की शादी बरसों पहले छवि से हुई थी. घर के सारे लोग खेतीबाड़ी और पशुपालन से जुड़े थे. छवि भी ससुराल आने के बाद छवि भी घरगृहस्थी के कामों के अलावा खेतीबाड़ी के भी काम करने लगी थी. जंगली जानवरों से खेतों की रखवाली के लिए अगर उसे खेतों पर भी रुकना पड़ जाता तो वह मचान पर रातरात भर जागते हुए पहरा देने से पीछे नहीं हटती थी.

रात के वक्त अगर कोई जंगली जानवर खेतों की तरफ आ जाता तो वह ऊंची आवाज में हांक लगा कर उसे भगा देती थी. खेतों की रखवाली करते वक्त वह अपने साथ एक मजबूत डंडा रखती थी. घर पर भी वह हमेशा चौकस रहती थी. पहले जंगली जानवर आ कर गांव के अन्य घरों की तरह उस के घर भी नुकसान कर जाते थे. लेकिन जब से छवि ब्याह कर आई थी, उस ने अपने घर का कभी नुकसान नहीं होने दिया था.

इन्हीं खूबियों की वजह से छवि का अपनी ससुराल में खूब आदरसम्मान था. सभी उसे पसंद करते थे. देखतेदेखते छवि एक बेटी और 2 बेटों की मां बन गई. 3 बच्चे होने के बाद भी वह न जिस्मानी रूप से कमजोर हुई थी, न ही उस के आत्मबल में जरा भी कमी आई थी. वक्त के साथ बच्चे बड़े होने लगे तो वह भी बुढ़ापे की ओर बढ़ने लगी.

गांव खट्टूखाल की भौगोलिक स्थिति कुछ इस तरह से थी कि यह गांव चारों तरफ से घने जंगलों से घिर हुआ है. इस गांव से जो सब से करीबी गांव है, वह 6 किलोमीटर की दूरी पर है. रास्ता भी जंगल से ही हो कर जाता है. मुख्य सड़क पर जाने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है. यह सफर ज्यादातर दिन में ही तय किया जाता है. क्योंकि रात में जंगली जानवरों के हमले का खतरा बना रहता है.

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