आज के प्रतियोगी युग में अमूमन विद्यार्थी पहले से ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर के चलते हैं और उसी के अनुसार कोर्स का चयन भी करते हैं, लेकिन मनचाहे कोर्स में ऐडमिशन के लिए, प्रतियोगी परीक्षा में अच्छी रैंक न आने के चलते वांछित कोर्स में ऐडमिशन से वंचित रह जाते हैं. ऐसे में अधिकतर विद्यार्थी अपना मन बदल कर किसी दूसरे कोर्स या क्षेत्र का रुख कर लेते हैं, लेकिन कुछ इरादे के पक्के या अपनी राह न बदलने की चाह रखने वाले विद्यार्थी एक साल ड्रौप कर मनचाहा कोर्स पाना चाहते हैं. उन का मानना है कि वे इस बार ड्रौप कर 12वीं में अगले वर्ष जरूरत अनुसार अच्छे अंक लाएंगे तो उन्हें मनचाहा कोर्स अवश्य मिल जाएगा.

मन बना कर किसी कोर्स के लिए तैयार होना व अपना लक्ष्य निर्धारित करना बुरा नहीं. उस के लिए एक बार असफल रहने पर दोबारा प्रयास भी सराहनीय कदम है, लेकिन तभी जब विद्यार्थी लगन व मेहनत से पिछले वर्ष से भी अधिक पढ़ाई करें. देखने में आता है कि अधिकतर इस तरह के विद्यार्थी ड्रौप तो कर लेते हैं पर अगले वर्ष फिर उसी लचीलेपन से तैयारी करते हैं व पूरे वर्ष का समय मिलने के बावजूद आज नहीं कल जैसी बातों पर चलते हुए आखिर में उसी स्तर की तैयारी तक सीमित रह जाते हैं जैसी पिछले वर्ष की थी. नतीजा वही ढाक के तीन पात. कभीकभी तो वे पिछले वर्ष से भी कम अंक ला कर अपना माथा पीट लेते हैं. ऐसे में उन के पास सिवा पछतावे के कुछ नहीं रहता. ऐसे विद्यार्थी जो साल ड्रौप कर रहे हैं उन के सामने पिछले वर्ष वाला वही कोर्स है, उन्होंने तैयारी भी कर रखी है. नोट्स भी उन के पास हैं, टीचर्स, पढ़ाई व ऐग्जाम के पैटर्न से भी वे वाकिफ हैं, तो फिर कमी क्यों, बल्कि उन्हें तो ड्रौप कर टौप करना चाहिए.

ड्रौप करना साल की बरबादी न बने

जब विद्यार्थी यह सोच कर ड्रौप करते हैं कि अगले वर्ष हम इस से भी अच्छा प्रदर्शन कर के दिखाएंगे ताकि अपने मनचाहे लक्ष्य को पा सकें, तो उन्हें पिछले वर्ष से अच्छी तैयारी करनी होगी ताकि ड्रौप करने का फायदा हो. ऐसा न हो कि पिछले वर्ष की भांति फिर वैसी ही तैयारी करें और अपना मनचाहा लक्ष्य पाने से वंचित रह जाएं. ऐसे में ड्रौप करना उज्ज्वल भविष्य की राह खोलने के बजाय साल बरबादी का ही कारण बनेगा, जिस का आप को हमेशा मलाल रहेगा.

कमियों को पहचानें

अगर आप ने ड्रौप किया है तो यह तो आप जानते ही हैं कि उस का कारण क्या है. किस विषय में आप पिछड़ गए थे या किस कारण आप को मनचाहा कोर्स या रिजल्ट नहीं मिल पाया, तो आप को अपना ध्यान उस विषय पर केंद्रित करने की ज्यादा जरूरत है. साथ ही उस विषय में आप के अंक किस कारण कम आए यह भी जानने की आवश्यकता है. इस के साथ यह भी जरूरी है कि उस विषय की कमियां दूर करते हुए कहीं आप अन्य विषयों में यह सोच कर लापरवाह न हो जाएं कि इन में तो पिछले वर्ष अच्छे अंक आए थे, इसलिए इन में कम तैयारी भी चलेगी. आप का ऐसा सोचना घातक सिद्ध हो सकता है. कहीं ऐसा न हो जिस विषय में आप के कम अंक आए थे उस में तो टौप पर पहुंच जाएं और बाकियों में फिसड्डी बन जाएं. ऐसे में ड्रौप का क्या फायदा? अत: पिछले वर्ष की अपनी कमियों को पहचानें और इस वर्ष तैयारी करते हुए उन कमियों को दूर करें व ड्रौप को टौप में बदलें.

कोर्स पुराना तैयारी नई

अमूमन पहले तो मनचाहा पाने की चाह में अधिक मेहनत व पढ़ाई का संकल्प ले विद्यार्थी ड्रौप कर लेते हैं, फिर यह सोच कर कि वही कोर्स, वही किताबें तैयारी से मुंह मोड़ यह सोचते हैं कि पढ़ा हुआ ही तो है कर लेंगे, जबकि भले कोर्स वही पुराना है लेकिन तैयारी तो आप नए सिरे से कर रहे हैं, तभी तो पिछले वर्ष रह गई कमियों को दूर कर अच्छे अंक ला पाएंगे. अब तो आप हर चीज से अवगत हैं, कोर्स की हर बारीकी आप के सामने है, तो क्यों न पुराने कोर्स की नए सिरे से तैयारी करें. नोट्स बनाएं और उन बिंदुओं को भी समझें जिन्हें पिछली बार छोड़ बैठे थे. तभी तो होगा ड्रौप का फायदा.

प्रिपरेशन पैटर्न बदलें

पिछले वर्ष ऐग्जाम की तैयारी का आप का पैटर्न कैसा था इस पर गौर करें और उस के कमजोर बिंदुओं को दूर करने की सोचें. पिछले वर्ष आप को प्रिपरेशन का समय ऐग्जाम के समय ही मिला, जबकि अब आप ऐग्जाम व उस के पैटर्न से भलीभांतिपरिचित हैं. इसलिए शुरू से ही प्रिपरेशन करें व पिछले वर्ष के पैटर्न को बदल, टाइमटेबल को इस तरह बनाएं कि खेलने, खाने के साथसाथ पढ़ाई व प्रिपरेशन भी होती रहे और अंत में आप टौपर बन कर निकलें.

फेलियर नहीं हैं आप

ड्रौप कर पुरानी कक्षा में दोबारा बैठने का मतलब यह कतई नहीं कि आप फेल हो कक्षा में बैठे हैं, बल्कि अपने रिजल्ट के सुधार से है. अत: इस बात का खयाल रखें कि भले आप को अपने जूनियर्स के साथ कक्षा में बैठना है लेकिन आप किसी रूप में फेलियर नहीं हैं. इस से आप का मनोबल ऊंचा रहेगा. ऐग्जाम पैटर्न या तैयारी संबंधी बातों पर अगर नए सहपाठी आप से चर्चा करें तो बेहिचक उन्हें गाइड करें. इस से आप का भी परीक्षा में नतीजे को बेहतर करने के प्रति रुझान बढ़ेगा. ध्यान रहे इस समय आप के उत्साह में कमी नहीं आनी चाहिए.           

ड्रौप करने पर निम्न बातों का भी ध्यान रखें :

–       अपनी पिछले वर्ष की पढ़ाई व तैयारी पर गौर करें व पिछली कमियां दूर कर तैयारी करें.

–       आप के जिस विषय में कम अंक आए उस में क्या कमी रही, इस बार उसे दूर करने का प्रयास करें.

–       हर प्रश्न का उत्तर लिख कर याद करें. प्रिपरेशन के बाद ऐसा समझें कि आप परीक्षा दे रहे हैं. अत: किताब, नोट्स आदि बंद कर कोरे कागज पर प्रश्न लिखें और खुद उस का उत्तर लिखें. इस से जहां लिखने की प्रैक्टिस होगी वहीं तैयारी भी होगी.

–       हर विषय की तैयारी टाइमटेबल के अनुसार करें.

–       ड्रौप करने में सीधे ऐग्जाम की तैयारी ही शुरू हो जाती है. इस हिसाब से आप के पास पढ़ाई के बजाय परीक्षा की तैयारी का ही पूरा वर्ष है, तो जम कर तैयारी कर सकते हैं.

–       यह सोच कर तैयारी न करें कि पिछले वर्ष सब पढ़ लिया है, बल्कि नए सिरे से तैयारी करें.

इस प्रकार कुछ बातों का खयाल रख अगर आप ड्रौप ईयर में तैयारी करेंगे तो न केवल अपने वांछित विषय के अंकों में सुधार कर पाएंगे बल्कि अन्य विषयों में भी अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे. इस प्रकार आप ड्रौप को टौप में बदलने में कामयाब होंगे.

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