महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की एक मांबेटी को उस के पिता ने घर में बंद कर दिया, क्योंकि दोनों ने बेटी के पति और पंचायत के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने की कोशिश की थी. उन का मोबाइल फोन भी ले लिया गया. 22 मई, 2016 को लड़की योगिता, जो पुलिस में भरती होने की तैयारी कर रही थी, उस की शादी नासिक के 25 साला लड़के अर्जुन से हुई थी. यह अर्जुन की दूसरी शादी थी. लड़की जब वर्जिनिटी टैस्ट यानी कुंआरेपन की जांच में फेल हो गई, तो पति ने उसे छोड़ दिया था. इसलिए मांबेटी ने पुलिस में शिकायत करने का फैसला लिया था. दोनों पतिपत्नी कंजरभाट समुदाय के हैं, जिस के 2 हिस्से हैं, डेरा सच्चा और खंडपीठ. इस समुदाय के अपने नियम हैं, जिन्हें सब मानते हैं.
इस समुदाय में तकरीबन ढाई लाख सदस्य हैं, जो ज्यादातर संगमनेर, सांगली, पुणे जिले में बसे हैं. उन की ताकतवर जात पंचायत है. 2 साल पहले इस समुदाय का अंडमाननिकोबार द्वीप समूह पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था. इस में भारत से तकरीबन 4 सौ सदस्य शामिल हुए थे इन के नियम के मुताबिक, शादी के बाद जब पतिपत्नी एक सफेद कपड़े पर जिस्मानी संबंध बनाते हैं, तो लड़कियों में कुंआरेपन को सब से अहम मानने वाली जात पंचायत के सदस्य उस समय बाहर इंतजार करते हैं. यह एक टैस्ट होता है कि लड़की कुंआरी है या नहीं. योगिता के केस में अर्जुन ने कहा कि सैक्स के बाद लड़की का खून नहीं दिखा, तो उस ने योगिता को अपनी पत्नी मानने से साफ इनकार कर दिया. वह फरियाद करती रही कि वह कुंआरी है. पुलिस फोर्स में भरती होने की तैयारी में काफी कसरत करने के चलते खून नहीं बहा है. उस के पति और ससुराल वालों ने उस के गहने ले लिए. अगले दिन जब योगिता और उस की मां ने थाने में शिकायत करने की कोशिश की, तो उन्हें कमरे में बंद कर दिया गया. समाजसेवी संस्था के लोगों ने उस की मदद करने की कोशिश भी की, लेकिन योगिता ने जात पंचायत के डर से मदद लेने से इनकार कर दिया. उस ने बताया कि अभी उस की शादी एक और टैस्ट पर टिकी है. उसे एक मीटर कपड़ा दिया जाएगा, जिसे वह ऊपर या नीचे के हिस्से में बांधेगी और उसे बिना कपड़ों के ही दौड़ना होगा और पंचायत के मर्द उस का पीछा करते हुए उस के शरीर पर गरम आटे की लोई फेंकेंगे. पर उस ने यह सब करने से मना कर दिया है. समाजसेवकों ने भी योगिता के पिता को समझाने की कोशिश की, पर उन्हें भी जात पंचायत का डर है. उन्होंने जात पंचायत के लोगों को समझाने की कोशिश की, जिस के बाद 1 जून, 2016 को संगमनेर तालुका, अहमदनगर जिले में योगिता के घर मीटिंग हुई.
योगिता और अर्जुन ने 10 दिन बाद मिलबैठ कर बात करने के बाद यह मामला ही खत्म कर दिया. योगिता ने अर्जुन के पास लौटने का फैसला किया, जिस से उस के परिवार का बहिष्कार भी न हो और उस के भाईबहन की शादी में कोई परेशानी न हो. अर्जुन का कहना है, ‘‘हम अपने नियम मानते हैं. पंचायत बहुत खास है, इसलिए मैं ने उन का फैसला माना, पर मैं ने योगिता से माफी भी मांगी और उस ने मुझे माफ कर दिया, इसलिए अब हम हमेशा पतिपत्नी की तरह रहेंगे.’’ जब डिप्टी सुपरिंटैंडैंट अजय देवारे और कुछ समाजसेवी इस मुद्दे पर बात करने पहुंचे, उस दिन गांव के मुख्य पंच नोडकलाल गायब रहे. ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ की समाजसेवी वकील रंजना गवडे का कहना है कि लड़की और उस का परिवार जात पंचायत के बहुत ही सामाजिक दबाव में है. योगिता की 2 कुंआरी बहनें और एक भाई है. उस के पिता पेंटर हैं. डिप्टी सुपरिंटैंडैंट अजय देवारे का कहना है कि योगिता अब किसी कानूनी पचड़े में नहीं फंसना चाहती. वह अपने पति के साथ रहना चाहती है. हम उस के फैसले की इज्जत करते हैं और उस की सिक्योरिटी का भरोसा दिलाते हैं.
अर्जुन ने योगिता को लिखित में भरोसा दिया है कि वह उस के घर महफूज और खुश रहेगी.
समाजसेवकों का कहना है कि जागरूक होना बहुत जरूरी है. वर्जिनिटी टैस्ट यानी कुंआरेपन की जांच से एक औरत की बेइज्जती होती है, यह अपराध है. एक मर्द को 2 बार शादी करने पर जब किसी को कोई एतराज नहीं है, तो एक औरत के कुंआरेपन पर इतना तमाशा क्यों? ऐसी पंचायतों के सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ ‘प्रोटैक्शन औफ पीपल फ्रौम सोशल बायकौट ऐक्ट 2016’ कानून पास करवाने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य है. इस कानून को राष्ट्रपति के दस्तखत का इंतजार है. अगर यह कानून पास हो गया, तो पंचायत के ऐसे नियम बंद हो जाएंगे, यह औरत के प्रति दिमागी और जिस्मानी जोरजुल्म है, इस के लिए सभी को जागरूक होना पड़ेगा कि ऐसी घटनाएं समाज में जल्द से जल्द बंद हों.