यह जरूरी नहीं है कि जिस संबंध में बहुत ज्यादा प्यार, समर्पण और विश्वास है, वह हमेशा बना रहेगा. जीवन में ऐसे निर्णायक क्षण भी आते हैं जब न चाहते हुए, आप को अपने सब से प्यारे रिश्ते को छोड़ कर आगे बढ़ना पड़ जाता है. कारण कुछ भी हो सकते हैं. आप को अपनी नौकरी, दोस्त या जीवनसाथी को छोड़ कर कब आगे बढ़ना है, इस बात का एहसास आप को खुदबखुद हो जाता है.

कभी किसी दोस्त, जिस के साथ आप की गहरी दोस्ती थी, के व्यवहार में आप के प्रति आया बदलाव आप को खटक जाता है और आप की दोस्ती टूट जाती है. इसी तरह से आप जिस से बेशुमार प्यार करती हैं, उस की कही बात या उस के व्यवहार में आप के प्रति नकारे जाने या फिर बेरुखी की भावना आप को उस से दूर कर देती है. इस संबंध में रिलेशनशिप काउंसलर निशा खन्ना का कहना है कि कोई भी संबंध चाहे वह पतिपत्नी का हो या फिर प्रेमीप्रेमिका का, तभी तक निभ पाता है जब तक उस में प्यार और समर्पण की भावना हो. नातेरिश्तेदार और दोस्ती का संबंध भी तभी तक चल पाता है, जब उस में प्यार और विश्वास समाहित होता है. जैसे ही आप को इस बात का एहसास होने लगे कि आप जिस संबंध को जी रही हैं उस में एकरसता और अकेलेन का भाव आता जा रहा है, आप का साथी आप को महत्त्व नहीं दे रहा है, तो अंदर ही अंदर घुटने के बजाय उस संबंध में उस से खुल कर बात करें. बात करने के बाद अगर आप को लगता है कि आप अपने संबंधों को एक और मौका दे सकती हैं, तो जरूर दें. लेकिन आप के संबंधों में एकदूसरे पर दोषारोपण और छोटीछोटी बातों पर तकरार होने लगे, तो यह समझ लें कि अब आप के संबंधों में दूरी आने लगी है और इस का चल पाना मुश्किल है. ऐसे में रोजरोज की कलह के बजाय आगे बढ़ना ही बेहतर विकल्प है.

आप को इस बात का एहसास बड़ी आसानी से हो जाता है कि अब आप जिस संबंध को जी रहे हैं, उस की उम्र खत्म हो रही है और आप को जीवन के नए सफर की शुरुआत करनी है. कुछ ऐसी बातें हैं जो यह जता देती हैं कि आप को अपने जीवन में जो हो रहा है, उसे पीछे छोड़ कर आगे बढ़ने की जरूरत है.

संबंधों में औपचारिकता

अकसर आप न चाहते हुए भी किसी अनचाहे रिश्ते को सिर्फ इस वजह से निभाती हैं कि अगर संबंध टूटेगा, तो लोग क्या कहेंगे, तो यह बात सही नहीं है. इस से न केवल आप के जीवन से खुशियां रूठ जाती हैं, बल्कि आप के व्यक्तित्व में नकारात्मक भावों का समावेश भी होने लगता है. जैसे ही आप को इस बात का एहसास हो कि अब आप के संबंधों में प्यार नहीं सिर्फ औपचारिकता रह गई है, तो रिश्ते को घसीटने के बजाय उस संबंध को छोड़ आगे बढ़ना ही बेहतर विकल्प है. यह सच है कि किसी भी संबंध को एक झटके में तोड़ना मुश्किल होता है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि आप के संबंध इतने ज्यादा खराब हो जाएं कि कभी सामना होने पर आप एकदूसरे को देख कर मुसकरा भी न सकें, तो इस से अच्छा यही है कि आप अपने रिश्ते को एक खूबसूरत मोड़ दे कर आगे बढ़ें.

जब कुछ भी अच्छा न लगे

वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डा. नितिन शुक्ला के अनुसार, यह जरूरी नहीं है कि आप की परेशानी का कारण हर बार आप के संबंध ही होते हैं. कई बार आप जिस जगह काम कर रहे हैं, बेहतर जीवन के लिए वहां से मूव करने की भी जरूरत होती है. ऐसी स्थिति तब आती है जब सबकुछ बेहतर होने के बावजूद खुशी का एहसास न हो. इस का यह मतलब है कि आप के जीवन में कोई ऐसी चीज है जो आप को खटक रही है. यह स्थिति आपसी संबंधों के अलावा आप जिस जगह पर काम कर रही हैं, वहां का माहौल या फिर वहां के काम करने का तरीका भी हो सकता है, जो आप को रास नहीं आ रहा है. ऐसे में अपनी ऊर्जा को वहां नष्ट करने के बजाय तुरंत वहां से काम छोड़ कर नई जगह पर काम तलाशने की शुरुआत करनी जरूरी होती है. कहीं नौकरी न भी मिल पाए, तो भी वहां से काम छोड़ देना ही उचित है.

प्यार के बदले प्यार न मिलना

आप को इस बात का एहसास होने लगे कि आप तो अपने संबंधों की मजबूती के लिए जीजान से लगी हुई हैं, लेकिन आप को अपने प्यार और समर्पण के बदले थोड़ा सा भी प्यार और सम्मान नहीं मिल रहा है, तो इस का अर्थ यह है कि आप को अपने संबंध को दोबारा से समझने की जरूरत है. सच तो यह है कि कोई भी संबंध तभी सहजता से चल पाता है जब दोनों तरफ से एक बराबर प्रयास किए जाएं. जब आप को अपने प्यार के बदले प्यार न मिले तो मन में खालीपन और नकारे जाने का एहसास पनपने लगता है. इस की वजह से आप के अंदर नकारात्मक भावनाएं आने लगती हैं. इस से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप को जिस रिश्ते में भरपूर प्यार व सम्मान न मिल रहा हो, उस से दूर ही रहें.

ऐसी दोस्ती से दूरी भली

आप औफिस का जरूरी काम कर रही हैं या फिर बच्चे को पढ़ा रही हैं, उसी समय आप की सहेली का फोन आ जाता है, जो फोन पर अपनी परेशानियों का पिटारा खोल कर बैठ जाती है. एकदो बार के लिए तो यह ठीक है, लेकिन अगर यह रोज की बात बन जाए, तो हर दिन की उस की समस्याओं को सुलझातेसुलझाते आप को झुंझलाहट होने लगती है. कारण, उस की नकारात्मक बातें आप के पारिवारिक संबंधों और औफिस के काम पर असर डालती हैं. इस स्थिति से बचने के लिए ऐसी सहेली से अपने संबंधों को टाटा बायबाय कह दें.

जहां आप की कद्र न हो

जिंदगी में खुश रहने के लिए जरूरी है कि आप जिन लोगों के संपर्क में जिस भी जगह रहें वहां आप को पूरा मानसम्मान और प्यार मिले. लेकिन आप का रिश्ता कितना ही गहरा क्यों न हो, जैसे ही आप को इस बात का एहसास हो कि उस रिश्ते में आप को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है और आप की भावनाओं व विचारों की कद्र नहीं हो रही है, वहां से हटना ही बेहतर विकल्प है भले ही वह आप की ससुराल हो या मायका.  

रिश्तों का बोझ न ढोएं

जिस जगह पर आप को उस रूप में न स्वीकार किया जाए जैसी आप हैं, वह जगह आप के लिए नहीं है. बेहतर यही होगा कि आप उस जगह से तुरंत हट जाएं.

किसी भी काम को तभी करें जब आप उसे करना चाहती हों और किसी संबंध को तभी निबाहें, जब आप को उस में सहजता महसूस हो. जहां आप को इस बात का एहसास हो कि आप जो काम कर रही हैं, उस काम को करने में खुशी नहीं मिल रही है और जिस रिश्ते को निभा रही हैं, वह आप के लिए बोझ बनता जा रहा है, तो उसे छोड़ने में हिचकें नहीं. डर कर किसी भी संबंध का निर्वाह न करें.

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