समलैंगिक संबंधों का मसला विवादास्पद होने के साथसाथ देशभर की अदालतों में भी चर्चा का विषय रहा है. गौरतलब है कि जुलाई 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 में समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था लेकिन 11 दिसंबर, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसलों को पलटते हुए समलैंगिक संबंधों को अपराध माना है. लेस्बियन, गे, बाई सैक्सुअल और ट्रांस जेंडर कम्युनिटी के लोगों के लिए यह बड़ा झटका है. लेकिन ग्लैमर जगत की कहानी जरा जुदा है. यहां इस तरह के संबंधों को ले कर फिल्मों से जुड़ी शख्सियतों और मौडलिंग जगत की हस्तियों की बेबाकी देखने वाली होती है.
यहां न सिर्फ इस तरह के संबंधों को बेपरदा किया जा रहा है बल्कि इस क्षेत्र से जुड़े लोग अपनी पहचान को सार्वजनिक करने से गुरेज भी नहीं करते नतीजतन गे-लेस्बियन रिश्ते वाले मीडिया के सामने खुल कर बोल रहे हैं, यहां तक कि वे अपनी नजदीकियों का खुलेआम प्रदर्शन कर रहे हैं. एक प्रमुख वैबसाइट पर लोड किए गए एक मौडल लड़की के साथ होंठों का चुंबन लेते हुए अपने एमएमएस क्लिप को ले कर अभिनेत्री किम शर्मा बेबाक लहजे में कहती हैं कि वे लेस्बियन हैं. किम कहती हैं कि एक होटल के स्विमिंग पूल में अपनी साथी मौडल के साथ मेरा गरमागरम चुंबन मुझे लड़कियों में चर्चित कर देगा.
यही नहीं, इस विषय को ले कर कलाकारों में खासी दिलचस्पी देखी जाती रही है. आइटम गर्ल यास्मीन खान और सुपर रैंप मौडल नताशा सिक्का ने भी समलैंगिक फोटो शूट करवाया. इसे फोटोग्राफर शान बनर्जी ने शूट किया.
लेस्बियन विषय पर अभिनेत्री सोनम कपूर के एक बयान ने भी सनसनी फैला दी थी. दरअसल, उन दिनों सोनम ‘मौसम’ फिल्म को ले कर इंटरव्यू दे रही थीं और उसी दौरान उन से पूछा गया कि वे किस अभिनेत्री के साथ लेस्बियन रोल करना चाहेंगी तो सोनम ने बिना कुछ सोचे बेबो का नाम ले लिया. उन के इस बयान के साथ मीडिया ने सनसनी फैला दी थी कि सोनम भी लेस्बियन बनना चाहती हैं.
छोटा परदा
बाल विवाह, कन्याभू्रण हत्या, घरेलू हिंसा और किसानों की आत्महत्याओं के बाद छोटे परदे पर भी होमोसैक्सुअलिटी अब एक न्यू ब्रांड मुद्दा है. स्टार चैनल के सीरियल ‘मर्यादा-लेकिन कब तक’ में लीड कैरेक्टर्स गौरव और करण के बीच समलैंगिक संबंध दिखाए गए थे. गे कैरेक्टर से मिले रिस्पौंस पर इस धारावाहिक से जुड़े गौरव यानी दक्ष अजीत सिंह कहते हैं कि इस धारावाहिक से मुझे अच्छा रिस्पौंस मिला है. यही नहीं, नैटवर्किंग साइट के जरिए मुझे 3 ऐसे लड़कों ने स्क्रैप किया, जिन के घरवालों ने यह शो देख कर उन की भावनाएं समझनी शुरू कर दी हैं.
बड़ा परदा
अभिनेता राहुल बोस ने फिल्म ‘आई एम’ में होमोसैक्सुअल का कैरेक्टर प्ले किया और वे इस मुद्दे पर स्पष्ट नजरिया रखते हुए कहते हैं, ‘‘समाज द्वारा होमोसैक्सुअलिटी को नैगेटिव लेना बुरी बात है. हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं जहां सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं और सभी कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं. मुझे समझ नहीं आता कि लोग क्यों किसी दूसरे की निजी इच्छाओं को कुचलना चाहते हैं. सरकार को आईपीसी की धारा 377 जरूर देखनी चाहिए और वह समझे कि हर आदमी को फ्रीडम चाहिए. होमोसैक्सुअल भी हमारी तरह नौर्मल लोग हैं.’’
मुंबई की एक गे पार्टी से जब पुलिस ने बौबी डार्लिंग समेत कई युवाओं को धरा, तो उस का बौलीवुड में विरोध किया गया. विरोध इस बात को ले कर था कि गे समुदाय को भी तो इंजौय करने का हक है. आखिर पुलिस ने उन्हें क्यों पकड़ा, जबकि वे सभी कोई गैरकानूनी काम नहीं कर रहे थे. यही बात तो राहुल बोस ने कही है कि फ्रीडम सभी को मिलनी चाहिए, चाहे वे नौर्मल लोग हों या गे-लेस्बियन.
परदे पर फैलते होमोसैक्स को देह दिखाने की मानसिकता कहें या बिकने की रणनीति, फिल्म मेकर्स ऐसे विषयों को उठाने लगे हैं जिन पर बवाल उठने की संभावना हो. स्त्रीदेह दिखाना अब साहस का काम नहीं, लगभग हर फिल्म में नायिका एक्सपोज हो रही है. स्क्रीन पर ऐसे संबंधों को दर्शाना साहस का काम है जिन्हें समाज खुलेआम स्वीकृति नहीं देता.
लेकिन अब लोग ऐसे संबंधों के बारे में बोलनासुनना ही नहीं उन से संबंधित दृश्यों को देखना भी पसंद कर रहे हैं. ‘दोस्ताना’ जैसी फिल्में भी हिट हो रही हैं. फिल्म ‘शैतान’ में जहां अनुराग कश्यप की पत्नी कल्कि कोचलिन और कीर्ति कुलहारी के बीच चुंबन सीन हैं, वहीं फिल्म के लीड ऐक्टर शिव पंडित का परदे पर पहला चुंबन किसी लड़की के साथ न हो कर अपने मेल कोस्टार नील भूपलम के साथ था. कुछ समय पहले तक हिंदी फिल्मों के अधिकांश कलाकार समलैंगिक किरदार निभाने से बचते रहे हैं. मधुर भंडारकर को फिल्म ‘फैशन’ के लिए समलैंगिक किरदारों की जरूरत थी लेकिन ऐसे रोल करने के लिए कोई तैयार न था. बड़ी मुश्किल से हर्ष छाया और समीर सोनी इस के लिए तैयार हुए. इस बारे में मधुर कहते हैं कि कलाकारों को लगता है कि ऐसे रोल करने से उन की इमेज खराब हो जाएगी. कुछ ऐसी ही कठिनाई फिल्म ‘माई ब्रदर निखिल’ के निर्देशक ओनिर को भी उठानी पड़ी. वे तो कहते हैं कि जिस कलाकार को भी मैं ने फिल्म की कहानी और उस का रोल सुनाया, उस ने करने में हिचक दिखाई. हां, फिल्म ‘आई एम’ में समलैंगिक किरदार निभाने के लिए राहुल बोस ने ‘हां’ कहने में देर नहीं लगाई.
ऐसा भी नहीं है कि सभी कलाकार समलैंगिक किरदार निभाने से डरते हों. अभिनेता जौन अब्राहम कहते हैं कि उन्हें फिल्म ‘दोस्ताना-2’ में भी लिया जाए. वे तो यहां तक कहते हैं, ‘‘जब मेरा शरीर सुंदर है तो इसे क्यों न दिखाऊं. आखिर दिखाने के लिए ही तो मैं ने बौडी पर इतनी मेहनत की है.’’
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा कहती हैं कि वे लेस्बियन किरदार निभाने के लिए तैयार हैं बशर्ते उस की भूमिका जोरदार होनी चाहिए. वे आगे कहती हैं कि रोल के साथसाथ अगर पूरा सेटअप अच्छा है तो मैं ऐसा कैरेक्टर जरूर करूंगी.
जौन अब्राहम और प्रियंका को तो दोस्ताना के प्रदर्शन के बाद समलैंगिक व्यक्तियों के औफर आने लगे थे. प्रियंका कहती हैं कि एक औरत ने मुझे छू कर कहा था कि क्या मेरे साथ डेट पर चल सकती हो पर मैं ने हंसते हुए इनकार कर दिया.
अभिनेत्री सेलीना जेटली तो रील ही नहीं, रीयल लाइफ में भी समलैंगिकों के पक्ष में आवाज बुलंद करती नजर आती हैं. वे समलैंगिकों की परेड में भी शामिल होती रही हैं. सेलिना कहती हैं, ‘‘मैं बचपन से ऐसे लोगों को जानती हूं. किसी भी इंसान में जैनेटिकली यह होता है जिस पर हम कुछ नहीं कह सकते. लेकिन सरकार अब इस मामले में जागती नजर आ रही है.’’
फिल्म ‘दोस्ताना’ में समलैंगिक होने का किरदार निभाने वाले अभिषेक बच्चन का कहना है कि उन्हें फिल्म में गे किरदार निभाने से खुशी हुई और गर्व भी. वे कहते हैं, ‘‘समलैंगिकता अब फैशन का रूप लेती जा रही है. मेरा तो मानना है कि समलैंगिकता आपसी तालमेल से ही बनती है और ऐसे लोग अपने समुदाय में खुश भी रहते हैं इसलिए इस विषय पर कमैंट करने का हमें कोई हक नहीं है. जिस तरीके से आज समलैंगिकों की तादाद बढ़ रही है, उस से तो यही लगता है कि समलैंगिकता कई लोगों की जरूरत बन गई है.’’
निर्देशिका मीरा नायर कहती हैं, ‘‘सचाई सामने आए, इस में हर्ज ही क्या है. हम ने कुछ गलत तो नहीं दिखाया.’’
दीपा मेहता ने लेस्बियन रिलेशनशिप पर फिल्म ‘फायर’ बनाई जिस का शुरू में तो विरोध हुआ पर फिल्म की सफलता से साबित हो गया कि दीपा ने कुछ गलत नहीं दिखाया. विरोध से मिली पब्लिसिटी दीपा की फिल्म के लिए कारगर ही साबित हुई.
दीपा मेहता की फिल्म ‘फायर’ पहली हिंदी फिल्म नहीं थी जिस में लेस्बियन रिलेशनशिप को दिखाया गया हो. इस से पहले 1981 में आई जब्बार पटेल की फिल्म ‘सुबह’ में भी 2 महिलाओं के बीच लेस्बियन संबंध दिखाए गए थे. इस फिल्म में स्मिता पाटिल थीं. रमेश सिप्पी की फिल्म ‘शोले’ में भी जेल के भीतर बंद कैदियों के बीच कुछ ऐसे हावभाव दिखाए गए जो उन के समलिंगी होने की पुष्टि करते हैं पर दर्शकों ने उन दृश्यों पर ज्यादा गौर नहीं किया. पिछले कुछ अरसे में प्रदर्शित फिल्मों पर नजर डालें तो पाएंगे कि स्थापित और प्रतिष्ठित निर्देशक भी फिल्मों में समलैंगिकता को सहज रूप से प्रस्तुत करने लगे हैं. हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि फिल्ममेकर्स का मकसद समलैंगिकता को प्रोत्साहित करना है.
समलैंगिकता अब बौलीवुड के लिए बुरा विषय नहीं रहा. फिल्म ‘कल हो ना हो’ में शाहरुख खान व सैफ अली खान के हावभाव ऐसे दिखाए गए मानो वे समलैंगिक हों. फिल्म में सुलभा आर्य अभिनेता शाहरुख व सैफ को समलिंगी समझती हैं. उन्हें लगता है कि दोनों पुरुष आपस में यौन संबंध बनाते हैं. इसी तरह जब सैफ व प्रीति जिंटा का सगाई समारोह होता है तो उस की साजसज्जा के लिए आने वाला युवक समलिंगी होता है.
अर्जुन सबलोक की फिल्म ‘न तुम जानो न हम’ में ऐसी स्थितियां उत्पन्न की गई हैं जिन से दर्शकों को लगता है कि रितिक रोशन और सैफ अली खान के बीच समलैंगिक संबंध हैं. फिल्म ‘कुछ न कहो’ और ‘आउट औफ कंट्रोल’ में भी समलैंगिकता को चित्रित किया गया. ‘प्यार किया तो डरना क्या’ में समलैंगिकता चुपके से घुस आई लेकिन इस की कथावस्तु उपहास का विषय रही. रितुपर्णों घोष फिल्म ‘मैरिज इन मार्च’ में गे बने थे. इस से पहले फिल्म ‘जस्ट अंडर लव स्टोरी’ में भी उन्होंने ऐसा किरदार निभाया था.
फिल्म ‘घाव’, ‘मैंगो सौफल’ और ‘संवेदना’ में समलैंगिक संबंधों का खुल कर चित्रण किया गया है. महेश दत्ताणी की फिल्म ‘मैंगो सौफल’ में अंकुर विकल और डोडो भुजवाला स्विमिंग पूल में निर्वस्त्र नहाते हैं. कई दृश्यों में उन का परस्पर यौन झुकाव और संबंधों के नाजुक पहलू भी सामने आते हैं. ‘घाव’ में महिला समलिंगी जेलर मीता वसिष्ठ सजायाफ्ता सीमा विश्वास से शारीरिक छेड़छाड़ करती है. इन फिल्मों में समलैंगिक संबंधों के अंतर्द्वंद्वों का यथार्थवादी चित्रण हुआ है.
निर्देशक श्रीधर रंगायन की समलिंगी संबंधों पर आधारित फिल्म ‘गुलाबी आईना’ 2 पुरुषों, बिब्बो और शिब्बो की कहानी है जिन के आपस में प्रेम संबंध हैं. इस फिल्म में समलिंगी संबंध रखने वालों के बीच प्यार, जलन, लड़ाई, झगड़े, आंसू और हंसी के दृश्यों को उन के असली रूप में दर्शकों के सामने लाने की कोशिश की गई.
होमोसैक्सुअल रिलेशंस पर आधारित फिल्म ‘औरोविल-316’ के निर्माता शमिन देसाई कहते हैं, ‘‘सजावटी सिनेमा की खुराक पर पले लोगों को परदे पर पूरी तरह समलैंगिकता देखने के लिए अभी वक्त लगेगा लेकिन आखिरकार ये फिल्में समाज में स्वीकृति तो पाएंगी ही क्योंकि सचाई देरसवेर स्वीकार करनी पड़ती है.’’
विरोध
होमोसैक्सुअल फिल्मों का विरोध करने वालों के अपने तर्क हैं. आलोचक कहते हैं कि समलैंगिक फिल्मों का विरोध क्यों न किया जाए. आखिर क्रिएटिविटी की भी तो एक मर्यादा होती है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आप कुछ भी कैसे दिखा सकते हैं. अप्राकृतिक सैक्स संबंध को भारतीय कानून में अपराध की श्रेणी में रखा गया है. समलैंगिकता भी तो अप्राकृतिक ही है, इसलिए सैंसर बोर्ड को ऐसी फिल्में पास नहीं करनी चाहिए. लेकिन फिल्ममेकर्स भी चालाकी से काम ले रहे हैं. वे सीधे तौर पर समलैंगिकता को आधार भले ही न बनाएं पर इस विषय को स्क्रिप्ट के साथ कहीं न कहीं जोड़ने की कोशिश जरूर कर रहे हैं. फिल्म ‘स्ट्रेट’ को ही लें, जिस की कहानी में समलैंगिकता के सदाबहार मुद्दे को बड़ी ही खूबसूरती के साथ पेश किया गया है. फिल्ममेकर्स समझ गए हैं कि समलैंगिकता ने पश्चिमी देशों से निकल कर भारत में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा ली है इसलिए वे ऐसी फिल्में बना रहे हैं ताकि इस वर्ग को थिएटर तक खींचा जा सके.
बौलीवुड में गे संबंधों को किसी न किसी रूप में परदे पर दिखाने का फैशन ही चल निकला है. दिव्या दत्ता ने फिल्म ‘मोनिका’ में किट्टू गिडवानी के साथ बेहद उत्तेजनात्मक लेस्बियन सीन्स दिए हैं. दिव्या कहती हैं कि शुरुआत में किट्टू के साथ लेस्बियन संबंध दिखाते समय हम दोनों ही असहज महसूस कर रही थीं लेकिन हमें निर्देशक पर पूरा भरोसा था. फिर भारतीय सिनेमा अब परिपक्व हो रहा है और दर्शक भी यथार्थ देखने की इच्छा रखते हैं. संजय गुप्ता के बैनर तले बन रही फिल्म ‘पंख’ में अभिनेता मैराडोना रिबेलो ने एक नग्न दृश्य दे कर सभी को चौंका दिया. फिल्म में रिबेलो और कोस्टार अमित पुरोहित के बीच नशे की हालत में 10 सैकंड का एक लंबा चुंबन दृश्य भी फिल्माया गया है.
मीरा नायर की शौर्ट फिल्म ‘द माइगे्रशन’ में इरफान खान ने एक समलिंगी का किरदार निभाया है. इरफान कहते हैं कि मीरा ने पहले मुझे एक किसान का किरदार निभाने को कहा था लेकिन वह मुझे चुनौतीपूर्ण नहीं लगा इसलिए मना कर दिया. फिल्म ‘वाटर’ में नजर आई लिसा रे ने फिल्म ‘आय कैन नौट थिंक स्ट्रेट’ में अपनी कोस्टार शीतल सेठ के साथ एक न्यूड लव मेकिंग सीन किया है.
दिलचस्प बात यह है कि अन्य अभिनेत्रियों के विपरीत लीसा ने यह सीन बिना किसी बौडी डबल के किया ताकि उस में विश्वसनीयता आ सके. एक फिल्मी चैनल ने तो एक स्पूफ यानी व्यंग्य ही बना डाला जिस में रणबीर कपूर की गे समुदाय में लोकप्रियता को देखते हुए उन के किरदार को गे दिखाया गया है. रणबीर का रोल हर्ष वसिष्ठ ने किया तो दूसरे गे किरदार में सुनील ग्रोवर नजर आए. कोंकणा सेन शर्मा ने भी फिल्म ‘द प्रैसीडैंट इज कमिंग’ में एक लेस्बियन का किरदार निभाया है.
भले ही देश की सर्वोच्च अदालत ने समलैंगिक संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है लेकिन बौलीवुड के लिए यह सैलेबल इश्यू हो गया है और फिल्ममेकर्स को लगने लगा है कि परदे पर ऐसे किरदारों को लाने से उन की फिल्मों को मुफ्त की पब्लिसिटी मिलेगी, जो नाम के साथसाथ दाम भी दिलाएगी.