लगता है बिहार में सुशासन बाबू का शासन अब राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था, घोर बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में सिमट कर रह गया है. राज्य की व्यवस्था या तो भ्रष्टाचार में है या फिर अपराधियों के हाथों में.
अपराधी भी ऐसे जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. बलात्कार, दिनदहाड़े अपहरण, दंगा अब बिहार की पहचान बन चुके हैं और हालात इतने खराब हैं कि आम जनता तो क्या पुलिस भी अपराधियों की गोलियों के शिकार बन रहे हैं.
थानाध्यक्ष को मारी गोली
ताजा मामला खगड़िया जिले के नवगछिया सीमा स्थित सलारपुर मोजमा दियारा क्षेत्र की है, जहां शनिवार, 13 अक्तूबर की सुबह पुलिस व अपराधियों की मुठभेड़ में पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार शहीद हो गए. मुठभेड़ के दौरान हालांकि पुलिस ने एक डकैत को भी मार गिराया है. इस गोलाबारी में सिपाही दुर्गेश यादव घायल हुआ है, जिसका इलाज भागलपुर में चल रहा है.
अपराधियों का गढ़
आगे बढने से पहले यह बताते चलें कि बिहार के मुंगेर, भागलपुर, खगड़िया, नवगछिया जिला अपराधियों का गढ़ रहा है. गंगा नदी के किनारे होने की वजह से इन जिलों में दूर तक रेत, जंगल हैं जिनसे यह अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना भी है.
दूरदूर तक न तो सड़कें हैं और न ही बिजली. यहां रेत माफियाओं का कब्जा रहता है जो नदी किनारे से रेत को बेचकर लाखों रूपए कमाते हैं. यह क्षेत्र आमतौर पर दियारा कहलाता है, जहां पुलिस की जाने की हिम्मत भी नहीं होती. जिसने हिम्मत की या करने की कोशिश की उन्हें अपराधी मारने तक से नहीं चूकते.
बेखौफ बदमाश
पसराहा भी उनमें से एक ऐसा ही जगह है. रेतों के बीच से गुजरते हाईवे एनएच 31प र भी आएदिन बसों ट्रकों को अपराधी हथियार के बल पर लूटते रहे हैं. बेखौफ अपराधी जरा जरा सी बात पर किसी को भी गोली मार देते हैं.
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