उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे प्रदेशों की बात करें तो जमाना भौकाल का है. भौकाल बनता है मर्दानगी से. मर्दानगी दिखाने के लिए आजकल सब से अधिक प्रयोग इस तरह की गाड़ियों का किया जा रहा है जिन को देखते ही लगे कि कोई भौकाली चला आ रहा है. भौकाल दिखाने से रुतबा बढ़ता है. इस के लिए शुरू से ही लोग खास किस्म की गाड़ियों से चलते हैं. एक दौर था जब गाड़ियों में बोलैरो का प्रयोग इस के लिए किया जाता था. इस की लोकप्रियता का यह आलम था कि इस को ले कर ‘मैडम बैठ बोलैरो पर’ गाना भी बना.

उत्तर प्रदेश, बिहार ही नहीं हरियाणा और पंजाब तक इन का जलवा था. भोजपुरी ही नहीं, हरियाणवी में भी ‘मैडम बैठ बोलैरो बहुत लोकप्रिय हो गया था. बोलैरो महिंद्रा कंपनी की गाड़ी थी और इस की कीमत 9 लाख से शुरू होती थी. इस को चलाने वाला अपनी मर्दानगी दिखाता था. यही कारण है कि ‘मैडम बैठ बोलैरो...’ जैसे गाने खूब लोकप्रिय हो गए थे. अपनी बड़े पहिए और ताकतवर इंजन के बल पर यह शान और दमदारी से अच्छे और खराब दोनों रास्तों पर दौड़ती थी.
कुछ ही दिनों में बोलैरो से मर्दों का दिल भर गया. सड़कों पर महिंद्रा की ही महिंद्रा स्कौर्पियो उतर पड़ी. इस के आगे बोलैरो फीकी पड गई. अब सड़कों पर मर्दानगी की निशानी स्कौर्पियो हो गई, जिस की शुरुआती कीमत वह थी जो बोलैरो की टौप मौडल की होती थी. स्कौर्पियो की कीमत 13.59 लाख से शुरू होती है. 25 लाख से ऊपर की कीमत की गाड़ियां हैं. स्कौर्पियो को ले कर भी म्यूजिक अलबम बने. हरियाणा के कलाकार प्रदीप बूरा और पूजा हुड्डा ने ‘काली स्कौर्पियो तेरा यार जमानत पर आया...’ बहुत मशहूर हुआ.

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