इंग्लैंड के बर्कशायर में स्थित टौप पब्लिक स्कूल ‘ईटोन कालेज’, जिसे वर्ष 1440 में स्थापित किया गया था, को ओवरलोडेड सीवेज के होने और पास के एरिया में बाढ़ आ जाने की वजह से बंद कर देना चौंकाने वाली बात थी, क्योंकि यह लंदन का एक प्रैस्टीजियस स्कूल माना जाता है. यहां से काफी प्रसिद्ध लोगों ने पढ़ाई की है. यूनाइटेड किंगडम के प्रथम प्रधानमंत्री सर रोबर्ट वाल्पोले, बोरिस जौनसन, डेविड कैमरून, प्रिंस विलियम, प्रिंस हैरी आदि जैसी महान हस्तियों ने इसी कालेज से पढ़ाई की है. यहां पर किसी छात्र का पढ़ना अपनेआप में सम्मानित बात होती है. लेकिन इस साल कालेज में सीवेज की व्यवस्था सही न होने और पास के एरिया में अधिक बारिश व थेम्स नदी के पानी में उफान आने की वजह से बाढ़ आ जाने से इसे बंद करना पड़ा है.

बाढ़ से करीब 2,000 प्रौपर्टीज के जलमग्न होने की वजह इंजीनियर्स सीवेज को मानते हैं. यह सही है कि बढ़ती जनसंख्या और काफी अधिक लोगों के एक जगह पर निवास करने से सीवेज की समस्या उत्पन्न होने व बाढ़ आने की आशंका बन जाती है. इस ओर विश्व ही नहीं, भारत को भी ध्यान देने की जरुरत है. पुरानी पद्धति के सीवेज और उन के आकार को आज की नई तकनीकों के जरिए बदलने की जरूरत है. ऐसा न करने से जान, माल और सरकारी संपत्ति की क्षति होने से कोई देश बच नहीं सकता.

परेशान मुंबईकर

मुंबई से इस का एक उदाहरण लिया जा सकता है, जहां हर साल मानसून की तेज बारिश से पूरी मुंबई ठप हो जाती है, जिस का हल आज तक किसी के पास मिलता नजर नहीं आता. मुंबई के लोग सब से अधिक टैक्स भरते हैं, लेकिन मानसून में उन्हें जलभराव से कोई राहत नहीं मिलती. क्या मुंबई का सीवेज इस का मुख्य कारण है, क्या मुंबई की आबादी के आकार के आधार पर जलनिकासी की व्यवस्था में कमी है? ऐसी कई बातों को आज समझने की आवश्यकता है.

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