दिल्ली में पलेबढ़े और अपनी स्कूलिंग खत्म करने के बाद 18 साल के किशन यादव को लखनऊ के बाबू बनारसी दास इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन मिला. उस के मांबाप उसे खुशीखुशी लखनऊ छोड़ने गए. वहां रहने के लिए किशन को एक बढ़िया पीजी भी मिल गया जहां से वह कालेज तक शेयरिंग औटो में आ-जा सकता था. किशन के मांबाप उस को वहां एडजस्ट कर के वापस दिल्ली लौट आए. कोई 10 दिन बीते होंगे कि उन को लखनऊ पुलिस की कौल आई कि वे तुरंत लखनऊ पहुचें क्योंकि किशन को कुछ लड़कों ने इतनी बुरी तरह पीटा है कि उसे बड़ी नाजुक हालत में सरकारी अस्पताल में भरती किया गया है. हमला करने वाले 7 लड़कों में से पुलिस ने 2 को गिरफ्तार कर लिया है, बाकी अभी फरार हैं.

किशन के मातापिता घबराई हुई हालत में फ्लाइट ले कर तुरंत लखनऊ पहुंचे और अस्पताल में किशन की हालत देख कर तो उन का दिल ही फट पड़ा. बेटे का पूरा सिर पट्टियों में लिपटा हुआ था. चेहरे पर जख्मों के गहरे निशान थे. एक हाथ और एक टांग में प्लास्टर चढ़ा हुआ था. जवान बेटे की ऐसी हालत देख कर मांबाप के आंसू नहीं थम रहे थे. हालांकि सही वक्त पर अस्पताल लाए जाने से किशन की जान बच गई थी और वह खतरे से बाहर था, मगर चोटें काफी थीं, पसलियों और लिवर को भी कुछ नुकसान पहुंचा था इसलिए इलाज लंबा चलना था.

पुलिस ने किशन के मांबाप को बताया कि कालेज जाते वक्त उस के शेयरिंग औटो में जो लड़के बैठे थे उन के साथ उस की एक दिन झड़प हुई थी और किशन ने उन्हें मांबहन की गंदीगंदी गालियां दी थीं. उस दिन तो औटो वाले ने बीचबचाव कर मामला खत्म करवा दिया था मगर दूसरे दिन कालेज से पीजी लौटते वक्त किशन ने जो औटो लिया, इत्तफाक से उस में वही लड़के बैठे हुए थे.

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