लेखिका- पद्मा अग्रवाल

अमीरी और गरीबी समाज का सत्य है. समाज को छोडि़ए, परिवार के भीतर तक में यह अंतर होता है. एक की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है तो दूसरे की बेहद खराब होती है. दोस्तों में भी ऐसा संभव है. पूरा विश्व 2 भागों में बंटा हुआ है- अमीर देश और गरीब देश. अमीर शक्तिशाली होने के कारण समयसमय पर गरीब को धमकाता रहता है और उसे हर बात पर आंखें दिखा कर अपनी बात मनवाने की कोशिश करता रहता है. गरीब हमेशा समृद्ध होने के प्रयास में लगा रहता है. धनसंपत्ति के कारण ही हम सब एकदूसरे से अलग या भिन्न दिखने लगते हैं. इस समय समाज में लगभग सब लोग या तो अपने पैसे की बात करते हैं या दूसरों के पैसे की चर्चा करते रहते हैं.

जब से कौस्तुभ की शादी का कार्ड नीलिमा ने देखा है, वह मन ही मन मायके जाने के सपने संजोने में व्यस्त हो गई थी. आखिर कौस्तुभ उन का भतीजा है. उस के भाई अब बड़े आदमी हो गए हैं. फाइवस्टार होटल ताज से शादी होने वाली है. लेकिन पति जय और बेटी नीति ने साफ मना कर दिया कि ‘कोई जरूरत नहीं है वहां जाने की. पिछली बार मामी ने कितना आप को बेइज्जत किया था.’ ‘गलती तो मेरी ही थी, मु?ो उन से उन की फेवरेट साड़ी मांगनी ही नहीं चाहिए थी और साड़ी पहनी थी तो उस की केयर करनी चाहिए थी. उन की 20 हजार रुपए की महंगी साड़ी अगरबत्ती से जल गई. फिर मैं ने उन्हें बताया भी नहीं और चुपचाप दे कर आ गई. ऐसे में उन का गुस्सा होना स्वाभाविक था.’ जय बोले, ‘हम उन से कम पैसे वाले हैं तो क्या कोई हमारी इज्जत नहीं है.

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