किसी विद्वान के मुताबिक तनाव अर्थात डिप्रैशन ही वह विषय है जो सारी बीमारियों की जड़ है. तनाव से बचाव के अनेकाअनेक रास्ते विशेषज्ञ बताते हैं. यहां हम आप को बताने जा रहे हैं कि अभिनय और नाट्य मंच के माध्यम से भी तनाव से बचा जा सकता है.

अब धीरेधीरे यह तथ्य भी स्वीकार किया जा रहा है कि हमारे जीवन में अनेक ऐसे आयाम हैं, अगर हम उन्हें अपना लें तो बड़ी आसानी से तनाव यानी कि डिप्रैशन से मुक्ति मिल सकती है.

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के वरिष्ठ नाट्यकर्मी अशोक मनवानी बताते हैं कि उन्हें 'रंगमंच' से जुड़े 4 दशक हो गए हैं. इन 40 सालों में शौकिया लगभग 30 नाटकों में काम किया है. हिंदी, सिंधी, गुजराती और बुंदेली के नाटकों में अभिनय किया है. वे बताते हैं, "भले नाटक कम संख्या में हैं लेकिन संतोष यह है कि इन में विविध और अहम भूमिकाएं करने का अवसर मिला जैसे पुलिस इंस्पैक्टर, डीआईजी, डाक्टर, स्वतंत्रता सेनानी, बुजुर्ग मुखिया, पड़ोसी और सेल्समैन."

महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि उन्होंने यह बात गहराई से महसूस की कि नाट्य अभिनय से जिंदगी के क्षण खुशनुमा हो जाते हैं और तनाव गायब हो जाता है. यह बात उन्होंने बारंबार महसूस की है. उन्होंने बातचीत में बताया कि अब यह अन्वेषण विदेश में मनोवैज्ञानिक भी कर रहे हैं और मानते हैं. अब माना जा रहा है कि चाहे अभिनय हो या फिर अन्य कोई शौक जैसे बागबानी, कुश्ती, लेखन, अभिनय आदि से भी तनाव से हम मुक्त हो जाते हैं.

निराशाओं और अवसाद से बचाव

विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश के लेखक एवं नाट्य मंच में लंबे समय तक काम करने वाले डाक्टर टी महादेव राव के मुताबिक, रंगमंच जीवन की निराशाओं और अवसाद से भी व्यक्ति को बचाने का काम अनायास करता चलता है और जिंदगी में उमंग भर देता है.

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