मानसी की उम्र बीस-बाइस साल की होगी. इंटरमीडिएट के बाद उस ने पढ़ाई छोड़ दी. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए उस ने सोचा कि नौकरी कर ले. एक कोरियर कंपनी में उस ने पैकेट रिसीव करने की छोटी सी जौब कर ली, मगर उस की 5,000 रुपए महीने की यह नौकरी 15 दिन भी नहीं चल पाई. वजह थी पानी, जिस के लिए उस को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. 9 लोगों के अपने परिवार की पानी की जरूरत पूरी करने के लिए मानसी को अपनी मां और अपनी बड़ी बहन के साथ महल्ले के उस नल पर लंबी लाइन में घंटों खड़े रहना पड़ता है, जिस में निगम का पानी कुछ देर के लिए छोड़ा जाता है. वहां पानी नहीं मिलता तो उस को सड़क पर पानी के टैंकर के इंतज़ार में घंटों बैठना पड़ता है. जिस दिन दोदो बालटी पानी तीनों को मिल जाता है, समझो उस दिन त्योहार हो जाता है. 9 लोगों के उस के परिवार में सभी प्राणी रोज नहीं नहाते. आज अगर मानसी ने एक बालटी पानी में नहाना और सिर धोना कर लिया तो उस का नंबर दोबारा 5 दिनों बाद आता है. नहाने के अलावा खाना बनाने, पीने, कपड़े धोने और शौच के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में दिल्ली जैसी जगह में रहते हुए भी इस परिवार को राजस्थान के दूरदराज रेगिस्तानी इलाके में रहने जैसा अनुभव होता है. घर की कोई लड़की न तो ठीक से पढ़लिख सकती है, न ही नौकरी कर सकती है, उन के दिनरात पानी ढूंढने और भरने में जाते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...