केंद्र की मोदी सरकार हो या उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, विकास के दावे खूब बढ़चढ़ कर करती है. औरत के पक्ष में खूब नारेबाजी करती है. योजनाओं के ढोल पीटती है मगर सचाई यह है की भाजपा के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नारे के बीच देशभर में बेटियों हत्या, बलात्कार, हिंसा, लूट खसोट के मामले लगातार बढ़ ही रहे हैं.
कहीं उन पर एसिड अटैक हो रहे हैं, कहीं दहेज के लोभी राक्षस उन की हत्या कर रहे हैं, कहीं सत्ता में बैठे वहशी दरिंदे जनता को उकसा कर उन की नग्न परेड निकलवा रहे हैं, उन का सामूहिक बलात्कार करवा रहे हैं और सरेआम उन के गले रेत रहे हैं.
प्रतिदिन अखबार के पन्ने औरतों के प्रति होने वाली अपराध खबरों से रंगे रहते हैं. यह वो खबरे हैं जो किसी तरह थाने में दर्ज हो जाती हैं, मगर उन घटनाओं का क्या जो शर्म, गरीबी, जानकारी के अभाव या दबंगों के डर से सरकारी कागज पर दर्ज नहीं होतीं? उन घटनाओं की संख्या का तो पता ही नहीं चलता जो थाने तक आती हैं और पैसे के लेनदेन से दबा दी जाती हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने औरतों के प्रति अपराध पर जो रिपोर्ट जारी की है उस के मुताबिक देश में हर घंटे 51 एफआईआर महिलाओं के खिलाफ हुए संगीन अपराध की दर्ज हो रही हैं.
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध
पिछले साल भारत में महिलाओं के खिलाफ रजिस्टर्ड अपराधों में 4 फीसदी की वृद्धि हुई है. महिलाओं के खिलाफ अपराध में दिल्ली सब से आगे है. यहां वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में सब से अधिक दर 144.4 दर्ज की गई. यह राष्ट्रीय अपराध की औसत दर 66.4 से काफी अधिक है. 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले 19 महानगरों की तुलना में दिल्ली में सर्वाधिक अपराध दर्ज किए गए हैं जो महिलाओं के खिलाफ हुए.
दूसरे नंबर पर योगी का उत्तर प्रदेश है जहां 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 65,743 मामले दर्ज हुए जो अन्य राज्यों की तुलना में बहुत अधिक हैं. इस के बाद महाराष्ट्र में 45,331 एफआईआर दर्ज हुईं, राजस्थान में 45,058, पश्चिम बंगाल में 34,738 और मध्य प्रदेश 32,765 एफआईआर दर्ज की गईं.
2022 में बलात्कार व गैंगरेप के साथ हत्या’ की कैटेगरी में भी उत्तर प्रदेश 62 पंजीकृत मामलों के साथ सूची में शीर्ष पर है. इस के बाद मध्य प्रदेश 41 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर है. दहेज ह्त्या के मामले में भी उत्तर प्रदेश सब से आगे है. 2022 में 2,138 दहेज ह्त्या के मामले यहां थानों में दर्ज हुए. इस के बाद बिहार का नंबर है जहां दहेज दानवों ने 1,057 महिलाओं को दहेज के लालच में मौत की नींद सुला दिया.
राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 445256 मामले दर्ज किए गए. आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत महिलाओं के खिलाफ ज्यादातर मामले ‘पति या उस के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ (31.4 प्रतिशत) के थे, इसके बाद ‘महिलाओं का अपहरण’ (19.2 प्रतिशत), शील भंग (गरिमा के ठेस पहुंचाने) करने के इरादे से ‘महिलाओं पर हमले’ के तहत (18.7 प्रतिशत) और ‘बलात्कार’ (7.1 प्रतिशत) के मामले दर्ज हुए.
इस से पहले वर्ष 2021 में 428278 जबकि वर्ष 2020 में 371503 एफआईआर स्त्री के प्रति हुए अपराधों पर दर्ज हुई थीं.
पिछले 5 वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में सब से अधिक वृद्धि राजस्थान (61.7 फ़ीसदी), तमिलनाडु (58.1 फ़ीसदी) में दर्ज की गई है. जबकि असम में इस अवधि में ऐसे मामले लगभग आधे हो गए हैं.
साइबर अपराध के तहत दर्ज मामलों की संख्या में भी 24.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2021 में 52,974 मामलों से बढ़ कर यह संख्या 2022 में 65,893 हो गई. 2022 में, दर्ज किए गए साइबर अपराध के 64.8 प्रतिशत मामले धोखाधड़ी के हैं. इस के बाद जबरन वसूली (5.5 प्रतिशत) और यौन शोषण के (5.2 प्रतिशत) मामले सामने आए.
बच्चों के प्रति हिंसा
बच्चों के प्रति हिंसा और अपराध के मामलों में भी उत्तर प्रदेश सब से आगे है. वर्ष 2022 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश में 7,955 मामले दर्ज हुए. इस के बाद 7,467 मामलों के साथ महाराष्ट्र है. 2022 में देशभर में पोक्सो की धाराओं के तहत कुल 62,095 मामले दर्ज किए गए.
इस के अलावा, 2022 में ‘पोर्नोग्राफी के लिए बच्चों का इस्तेमाल / बाल पोर्नोग्राफी सामग्री का भंडारण’ कैटेगरी के तहत कुल 667 मामले दर्ज किए गए, जिन में सब से अधिक मामले बिहार (201) में, उस के बाद राजस्थान में (170) मामले दर्ज किए गए. देश में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
दलित व पिछड़ी जातियां उत्पीड़न का शिकार
दलित और अन्य पिछड़ी जातियां भी बड़ी संख्या में हिंसा और उत्पीड़न का शिकार हैं. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के कहती है कि 2022 में अनुसूचित जाति (एससी) के खिलाफ अपराध के तहत 57,582 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 की तुलना में 13.1 प्रतिशत की वृद्धि है.
2021 में ऐसे 50,900 मामले दर्ज हुए थे. उत्तर प्रदेश 15,368 मामलों के साथ शीर्ष पर है. 2021 में एससी \एसटी अधिनियम के तहत दर्ज 13,146 मामलों की तुलना में एक साल के अंदर ये बहुत तीव्र वृद्धि है. इसी तरह, राजस्थान भी 8,752 मामले सामने आए हैं, जो 2021 में 7,524 मामलों से अधिक है. भारत में, 2022 में अनुसूचित जाति के खिलाफ बलात्कार के कुल 4,241 मामले दर्ज किए गए, जिस में 658 मामलों के साथ राजस्थान सब से आगे है, इस के बाद 646 मामलों के साथ यूपी है.
अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ होने वाले अपराधों में भी 2021 (8,802 मामले) की तुलना में 2022 में 14.3 प्रतिशत (10,064 मामले) की वृद्धि हुई है. एसटी के खिलाफ बलात्कार के 1,347 मामले दर्ज किए गए, जिस में मध्य प्रदेश 359 ऐसे मामलों के साथ आगे रहा.