आज दिक्कत यह है कि नरेंद्र मोदी की सरकार में सरकारी अफसर बिना किसी रोकटोक के अपनी मनमानी करके पीएमओ वाला राज लागू कर रहे हैं जिसमें हर तरह के अफसरों को फरमान जारी करने और फिर उनसे मोटा पैसा बनाने के अवसर मिल रहे हैं.

सरकार जल्दबाजी में नियमकायदे बनाती चली जा रही है. इस पर न तो संसद में विचारविमर्श हो पा रहा है और न ही समाज में. जो आने वाले समय में निश्चित रूप से नुकसानदायक सिद्ध होगा.

इसी लाइन में नरेंद्र मोदी सरकार देश में हर एक कानून में संशोधन करने के लिए उतावली है. अब गाज गिरी है कोचिंग क्लासेस पर.

केंद्र सरकार ने बिना जनता की राय लिए कोचिंग संस्थानों के लिए कुछ नियम उपनियम बना दिए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य हो गया है. इन नियम उपनियमों से जहां कोचिंग संस्थानों पर अंकुश लगता दिखाई दे रहा है वहीं कुछ ऐसे प्रश्न खड़े हो गए हैं जिन का उत्तर अभी तक नहीं मिल पाया है.

जहां तक कोचिंग क्लासेस का सवाल है आज संपूर्ण देश में यह एक ऐसा व्यवसाय बन चुका है जो लाभ कमाने का जखीरे जैसा है. सुपर 30 जैसी कुछ फिल्में प्रदर्शित हुई हैं जो बताती है कि कोचिंग संस्थान किस तरह काम करते हैं. वहीं दूसरी तरफ कितने ही नौनिहालों ने आत्महत्या कर ली है.

इन खबरों से अकसर अखबार हमारे सामने होते हैं. इस आलेख में हम कोचिंग संस्थानों के हाल पर नजरडालते हुए यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि नए नियमों से किस तरह की विसंगतियां उपजने की संभावना है और क्या लाभ हो सकते हैं.

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