मोनिका पुरोहित इंदौर के तुकोगंज थाना क्षेत्र मूकबधिर पुलिस सहायता केंद्र की समन्वयक हैं. थाने में यह  सहायता केंद्र उन के पति ज्ञानेंद्र पुरोहित की पहल पर खुला था. जानने वाले ही जानते हैं कि पुरोहित दंपति ने अपना जीवन मूकबधिरों के नाम कर रखा है. उन के कानूनी हकों के लिए ज्ञानेंद्र ने लंबी लड़ाई लड़ी है और वे आज भी उन की किसी भी तरह की सहायता के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध रहते हैं.

मूकबधिरों के लिए जीवन समर्पित कर देने वाले पुरोहित दंपति के पास हजारों अहम और दिलचस्प अनुभव हैं. लेकिन 2 अगस्त, 2018 को अपने कार्यालय में बैठी मोनिका को जो अनुभव हुआ, वह शर्मसार कर देने वाला था.

हुआ यूं था कि उस दिन आदिवासी बाहुल्य जिले धार के एक गांव की 2 मूकबधिर लड़कियां उन के पास आई थीं. अपने पति की ही तरह मोनिका भी मूकबधिरों की भाषा यानी साइन लैंग्वेज की अच्छी जानकार हैं, इसलिए मूकबधिरों को उन की किसी भी समस्या के समाधान के लिए उन के पास भेज दिया जाता है.

ये दोनों लड़कियां यह जानने उन के पास आई थीं कि पढ़ाई के लिए वे कहां जाएं और इस के बाद उन का भविष्य क्या है. मोनिका के लिए यह कोई नई बात नहीं थी, लिहाजा उन्होंने तुरंत साइन लैंग्वेज में इन लड़कियों को उन के सारे सवालों के जवाब दिए और यह कह कर उन का उत्साह बढ़ाया कि मूकबधिर होना एक कमी जरूर है लेकिन यह कमी कोई अभिशाप नहीं है.

साथ ही उन्होंने दोनों लड़कियों को उन सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी भी दी, जिन के तहत सरकार दिव्यांग बच्चों को अपने खर्चे पर न केवल पढ़ातीलिखाती है, बल्कि हौस्टल और खानेपीने का भी सारा खर्च उठाती है.

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