कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ की एक और समस्या लोगों के सामने आकर खड़ी हो गई है.एक तरफ देश के लाखों डॉक्टर्स दिन - रात कोरोना मरीजों का इलाज करने में जुटे हैं,मेहनत कर रहे हैं,घर परिवार से दूर कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं, अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और ऐसा खासतौर पर सरकारी अस्पतालों में हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर हजारों डॉक्टर्स ऐसे भी हैं जो संकट की इस घड़ी में कोरोना के डर से हार मानते दिखाई दे रहे हैं.

दरअसल ये मामला प्राइवेट अस्पतालों का है, कई राज्यों में प्राइवेट डॉक्टरों ने कोरोना के डर से प्रैक्टिस बंद कर दी और नर्सिंग होम भी बंद कर दिए हैं. जो खुले भी हैं, वो मरीजों को पहले कोविड-19 यानी की कोरोना का  टेस्ट करवाकर आने को कह रहे हैं क्योंकि उन्हें डर इस बात का है कि कहीं अगर अक भी मरीज कोरोना से संक्रमित गलती से भी अस्पताल के अंदर आ गया तो संक्रमण बुरी तरह से फैल जाएगा और ऐसा कई अस्पतालों में हुआ भी है.दिल्ली,बिहार,मंबई,झारखंड,बंगाल,ओडिशा ये वो राज्य हैं जहां पर प्राइवेट अस्पताल के डाक्टर्स के द्वारा लोगों के उपर दबाव बनाया जा रहा है की मरीज पहले कोरोना टेस्ट करवाए उसके बाद ही हम इलाज करेंगे इतना ही नहीं बल्कि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों से भी पहले यही कहा जा रहा है.

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अब बात करते हैं अब आपको बताते के की मुंबई के एक प्राइवेट अस्पताल में क्या चल रहा है दरअसल मुंबई के चेंबूर के इस इलाके में जितने भी प्राइवेट अस्पताल थे वो सभी बंद हो गए जिसके कारण  मरीजों की लंबी कतार लग गई. यहां तक की बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज में जहां सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा था वहां पर मंगलवार को भीसड़ आग लग गई.अब जरा सोचिए कि जहां पर प्राइवेट अस्पतालों ने बाहर से आने वाले मरीजों पर पाबंदी लगा दी है और  प्राइवेट डॉक्टर्स, नर्सिग होम, क्लीनिक, फार्मेसी और डायग्नोस्टिक सेंटर्स ने अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं वहां पर मरीजों का क्या हाल होगा.

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