लेखक-भारत भूषण श्रीवास्तव और शैलेंद्र सिंह

कोरोनिल दवा के प्रचार में केंद्र सरकार के 2 मंत्री उस के लौंच के समय रामदेव के साथ मंच पर थे. वैसे ‘केरोनिल’ नाम का एक कंपाउंड चेन्नई की एक कंपनी 20 साल से ज्यादा समय से बना रही है पर वह इंडस्ट्रियल क्लीनर है, दवा नहीं. वह कंपनी ट्रेडमार्क को ले कर विवाद में है. मद्रास उच्च न्यायलय ने फिलहाल बिना अंतरिम राहत दिए उक्त कंपनी के मामले को दूसरी बैंच को भेज दिया है. उस मामले में पतंजलि ने स्वीकार किया कि 14 जून, 2020 को स्वामी रामदेव, जोकि ट्रस्टी हैं, ने दावा किया था कि कोरोना वायरस का क्योर कोरोनिल मैडिसिन के इन्वैंशन के साथ पा लिया गया है. रामदेव का यह दावा अब धूल खा रहा है.

पतंजलि ने स्वयं बाद में कहा कि कोरोना वायरस के उपचार की जगह इसे सिर्फ इम्यूनिटी बूस्टर की तरह इस्तेमाल किया जाए. फरवरी 21 में दिए गए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड बनाम अरुद्रा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के मामले में न्यायालयों के समक्ष बहुत सी चीजें साफ हुईं. इस बीच पतंजलि ने जो ‘दिव्य कोरोनिल’ दवा बनाई है उसे कोविड-19 की सहायक दवा और इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में आयुष मंत्रालय से मान्यता मिल गई. हालांकि, बाद में यह बात सही साबित नहीं हुई. इस पर विवाद खड़ा हुआ. तब बड़ी चतुराई और सरकार के प्रभाव से कोरोनिल को दवा की कैटेगरी से बाहर कर दिया गया और कोरोनिल को फूड सप्लीमैंट की कैटेगरी में डाल दिया गया.

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विदेशों में कोरोनिल को ले कर टैस्ट हुए और कई देशों ने माना कि इस में साधारण इम्यूनिटी बढ़ाने का भी गुण नहीं है. महाराष्ट्र जैसे देश के कई राज्यों ने अपने यहां कोरोनिल के बेचने पर रोक लगा रखी है. वहीं, भाजपाशासित कई राज्य ऐसे हैं जहां कोरोनिल बिक रही है. हरियाणा में तो राज्य सरकार के साथ मिल कर पतंजलि 50 फीसदी दाम पर कोरोनिल जनता को उपलब्ध करा रही है यानी खुले और फुटकर बाजार में यह दोगुने दाम पर बेची जा रही है. बता दें कि रामदेव हरियाणा के ब्रैंड एम्बेसडर भी हैं.

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