अगस्त, 2024 : यमुनानगर, हरियाणा में बेटे ने मां से ड्रग्स खरीद कर नशा करने के लिए पैसे मांगे, मां ने नहीं दिए, तो उस ने लोहे के रौड से पीटपीट कर अपनी ही मां मार डाला.
जुलाई, 2024 : पूर्णिया, बिहार में बेटे ने पत्नी के साथ मिल कर मां के सिर पर हथौड़े पर हमला किया. मामला संपत्ति विवाद से जुड़ा था.
जून, 2024 : दौसा, राजस्थान के विकास बैरवा की शादी नहीं हो रही थी, इस वजह से उस ने परिवार को दोषी मानना शुरू कर दिया. एक दिन मां के सिर पर लोहे के पाइप से मार कर उस की हत्या कर दी.
मई, 2024 : श्योरपुर, मध्य प्रदेश में गोद लिए बेटे ने ही मां की हत्या कर दी। उस ने सब से पहले मां को छत से नीचे फेंका, उस के बाद गला दबा, घर के बाथरूम में खुदाई कर वहीं दफन कर दिया.
ऊपर दी हुई कुछ घटनाएं मई से अगस्त तक के महीने की हैं. यहां लगातार 4 महीने की केवल एकजैसी घटना का उदाहरण दिया गया है, जिस की संख्या अधिक भी हो सकती है. वजह कुछ भी हो, सभी घटनाओं में बेटे ने मां का कत्ल किया है.
रिश्तों में मां का दरजा, दुनिया के हर धर्म और जाति में सब से ऊपर रखा गया है, जिस की वजह है मां का जननीस्वरूप. इस के बावजूद ऐसी दुखद घटनाएं क्यों घट रही हैं? क्या इस के लिए पूरी तरह से मौडर्न लाइफस्टाइल जिम्मेदार है? क्या पूर्व में इस तरह की कोई घटना नहीं घटी?
परशुराम ने भी की थी मां की हत्या