बृजगोपाल हरकिशन लोया मुंबई में सीबीआई की विशेष अदालत के प्रभारी जज थे जिनकी मौत 2014 में 30 नवंबर की रात और 1 दिसंबर की दरमियानी सुबह हुई, जब वे नागपुर गए हुए थे. उस वक्त वे सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें मुख्य आरोपी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह थे. उस वक्त मीडिया में बताया गया कि लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है. इस मामले में नवंबर 2016 से नवंबर 2017 के बीच अपनी पड़ताल में मैंने जो कुछ पाया, वह लोया की मौत के इर्द-गिर्द की परिस्थितियों पर कुछ असहज सवाल खड़े करता है- जिनमें एक सवाल उनकी लाश से जुड़ा है जब वह उनके परिवार के सुपुर्द की गई थी.
मैंने जिन लोगों से बात की, उनमें एक लोया की बहन अनुराधा बियाणी हैं जो महाराष्ट्र के धुले में डॉक्टर हैं. बियाणी ने मेरे सामने एक बड़ा खुलासा किया. उन्होंने बताया कि लोया ने उन्हें यह जानकारी दी थी कि बंबई उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहित शाह ने अनुकूल फैसला देने के एवज में लोया को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की थी. उन्होंने बताया कि अपनी मौत से कुछ हफ्ते पहले लोया ने उन्हें यह बात बताई थी, जब उनका परिवार गाटेगांव स्थित अपने पैतृक निवास पर दीवाली मनाने के लिए इकट्ठा हुआ था. लोया के पिता हरकिशन ने भी मुझे बताया था कि उनके बेटे का कहना था कि एक अनुकूल फैसले के बदले उन्हें पैसे और मुंबई में एक मकान की पेशकश की गई है.