10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं में अब छात्रों को डिवीजन या डिस्टिंक्शन  नहीं मिलेगा क्योंकि सीबीएसई ने ग्रेडिंग का अपना सालों पुराना सिस्टम बदलने का फैसला किया है. इस से पहले सीबीएसई ने शिक्षा के क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के उद्देश्य से मेरिट सूची जारी करने की प्रथा भी समाप्त कर दी थी. सीबीएसई बोर्ड पिछले कुछ साल से 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में टौप करने वाले छात्रों की लिस्ट जारी नहीं करता है.

बोर्ड ने इस के पीछे का तर्क देते हुए कहा था कि ऐसा छात्रों के बीच अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए किया गया है.यह दृष्टिकोण केवल परीक्षा प्रदर्शन के बजाय समग्र सीखने पर ध्यान केंद्रित करने, अधिक संतुलित शैक्षिक वातावरण को बढ़ावा देने और अंततः रटने की प्रक्रिया से दूर जाने को प्रोत्साहित करेगा, जो छात्रों के भविष्य और करियर के लिए अच्छा होगा.

अब बोर्ड ने 30 नवंबर को सभी स्कूलों को नोटिस जारी कर बताया है कि सीबीएसई के दसवीं और बारहवीं के नतीजों में अब ओवरऔल डिविजन, डिस्टिंक्शन या एग्रीगेट अंक भी नहीं दिए जाएंगे.अगर हायर स्टडीज के लिए या नौकरी के लिए परसेंटेज कैलकुलेशन की जरूरत पड़ती है तो संस्थान या कंपनी खुद ये कैलकुलेशन कर सकती है.बोर्ड इस बारे में कोई जानकारी नहीं देगा.बोर्ड न तो परसेंटेज की गिनती करेगा और न ही रिजल्ट में इस की कोई जानकारी दी जाएगी.अधिसूचना में कहा गया है, 'इस संबंध में सूचित किया जाता है कि परीक्षा के अध्याय 7 की उपधारा 40.1 (iii) उपनियम यह निर्धारित करते हैं कि:- कोई समग्र डिवीजन/डिस्टिंक्शन/एग्रीगेट नहीं दिया जाएगा'.

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