आधार कार्ड के बिना आज एक भारतीय खुद की कल्पना नहीं कर सकता. यही आधार कार्ड फ्रौड का सबसे बड़ा कारण बन गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आधार का नंबर फोन नंबर,पैन कार्ड नंबर और बैंक के खाता नंबर से जोड़ दिया गया है. अब अगर आधार नंबर मिल जाए तो उसके जरिए बैंक के खाते तक पहुंचना सरल हो गया है.

सरकार ने हर जगह पर आधार कार्ड को दिखाने का नियम बना दिया है. घर पर लगी रसोई गैस से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस तक, ट्रेन के सफर से लेकर घरेलू उड़ान तक जैसी जीवन की सभी जरूरतों में इसका प्रयोग होने लगा है. इसके जरिए संपत्ति पर नजर रखी जाने लगी है.

आधार कार्ड का इस्तेमाल पहचानपत्र के रूप में भी किया जाने लगा है. भारत अथवा राज्य सरकार की योजनाओं में तो आधार कार्ड का इस्तेमाल व्यक्तिगत पहचानपत्र के रूप में किया जाने लगा है. एक बार आधार कार्ड बन जाने के बाद इसकी उपलब्धता काफी आसान है. इस कार्ड को देश के किसी भी कोने में रहते हुए केवल एक क्लिक में डाउनलोड किया जा सकता है.इसके अलावा इस की फिजिकल कौपी को भी कहीं भी और कभी भी मांगा जा सकता है. इससे फ्रौड की संभावना बढ़ती है. एक आधार कार्ड नंबर पर आपकी सारी संपत्ति का विवरण दर्ज हो जाता है. इससे सरकार को संपत्ति पर नजर रखना सरल हो गया है.

आधार कार्ड और प्राइवेसी से जुड़ी चिंताओं का आपस में गहरा नाता है. भारत सरकार ने जनवरी 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी आधार कार्ड का गठन किया. सितंबर 2010 से आधार कार्ड बनना शुरू हुआ. विवाद होने पर सरकार द्वारा कहा गया कि किसी भी आधार कार्ड की फोटोकौपी साझा न करें, इससे प्राइवेसी लीक हो सकती है. बाद में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आननफानन इसको वापस ले लिया.

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