शहरों के बड़े पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चों के मातापिता उन स्कूलों की चमकदमक से प्रभावित तो हैं लेकिन उन के द्वारा वसूली जा रही भारीभरकम फीस से दुखी व परेशान भी हैं. हजारों रुपए खर्च करने के बावजूद बच्चे स्कूल के बाद ट्यूशन पढ़ने को विवश हैं. इतना ही नहीं, शैक्षिक व अशैक्षिक गतिविधियों के नाम पर भी धन बटोरने में ये तथाकथित स्कूल कोताही बरतने से बाज नहीं आते. बातबात पर पैसा, कदमकदम पर डांटफटकार और न्याय की बात करने पर बच्चों को स्कूल से निकाल देने या उन का कैरियर खराब कर देने की धमकी, यही सब कुछ हो रहा है इन धन बटोरने की दुकानों में.

बड़ेबड़े नामधारी स्कूल प्रवेश फौरम की बिक्री से ले कर परीक्षा के नतीजों तक अभिभावकों की जेब पर कैंची चलाने में लगे रहते हैं. विकास शुल्क व सुविधा शुल्क के नाम पर की जा रही खुली लूट तो कई जगह बेशर्मी की हद को पार कर गई है. इन स्कूलों में बच्चों की शिक्षा व ज्ञान पर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है जितना उन की यूनिफौर्म, टाई, जूतों, महंगी किताबकौपियों व अन्य स्टेशनरी की खरीद पर दिया जा रहा है.

ये सब बातें तब खुल कर सामने आईं जब पिछले दिनों जयपुर के सीबीएसई स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को एक ही कक्षा व एक ही कोर्स की अलगअलग कीमत चुकानी पड़ी तथा जयपुर के एक नामी स्कूल ने अभिभावकों से डैवलपमैंट के नाम पर मनमानी फीस मांगी. इसी बीच कई स्कूलों, बच्चों व अभिभावकों से की गई बातचीत से और कई बातें सामने आईं.

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