दस साल की बच्ची से चाचा ने की ज्यादती की कोशिश…बॉक्सिंग खिलाड़ी ने की नाबालिग से ज्यादती...मंगलवार 4 अप्रैल को भोपाल के अखबारों में छपी उक्त शीर्षकों वाली खबरें इस लिहाज से जरूर चिंता का विषय थीं कि इस दिन अष्टमी का त्योहार होने के चलते घर घर में कन्या पूजन हो रहा था, नहीं तो रोज रोज कन्याओं से दुष्कर्मों की खबरें भोपाल में इतनी आम हो गई हैं कि लोगों ने इन्हे छुरेबाजी या जेबकटी की तरह रोजमरराई और मामूली जुर्म मानना शुरू कर दिया है.

इसी साल फरवरी में अवधपुरी इलाके में एक अधेड़ शिक्षक ने ग्यारह साला एक छात्रा का बलात्कार किया था और इसके चंद दिनो पहले ही भोपाल के ही कोलार इलाके के नामी प्ले स्कूल में तीन वर्षीय एक मासूम से स्कूल संचालिका के पति ने दुष्कर्म किया था. इन मामलों पर जरूर थोड़ा बहुत हल्ला मचा था पर फिर लोगों को संवेदनहीन होने में ही अपना भला लगा. चूंकि  संवेदनहीन होना बहुत आसान काम भी नहीं है, इसके लिए जिस नशे की जरूरत होती है वह भोपाल के दर्जन भर इलाकों में समारोह पूर्वक परोसा जा रहा था. वह नशा है धर्म का, जिसने लोगों को घुमा फिरा कर और सीधे सीधे भी बताया कि किसी बात का टेंशन मत लो, ये दुनिया ईश्वर के इशारे पर चलती है, तुम तो निमित्त भर हो, इस तरह के सैकड़ों मीठे प्रवचन सुनकर और कुछ रुपये चढ़ाकर लोग एक ग्लानि और सामाजिक अपराधबोध से सस्ते में मुक्ति पा गए. फिर हफ्ते भर कन्या पूजन और भंडारों के आयोजन होते रहे.

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