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सुनीता और दीपक 6 महीने का वीजा ले कर बेटी अंकिता के पास आस्ट्रेलिया चले गए. उन के जाने के कुछ दिनों बाद ही लाली वहां आ गई. उधर, अंकिता को बेटे की सौगात मिली. आस्ट्रेलिया में 6 महीने बिता कर सुनीता जब घर वापस लौटी तो लाली अपनी ट्रेनिंग पूरी कर लौट चुकी थी.

लाली को अपने यहां रखने के निर्णय पर पछतावा होता रहता था सुनीता को. उस ने तो सोचा था कि जब तक वे आस्ट्रेलिया में हैं, लाली आकाश के पास रहे तो क्या हर्ज है? वह घर पर खाना बना लेगी तो आकाश को भी बाहर नहीं खाना पड़ेगा. पर यह नहीं पता था कि लाली आकाश के पेट से दिल तक पहुंच जाएगी. सुनीता और दीपक तब अपनेआप को ठगा सा महसूस करने लगे जब आकाश ने लाली के साथ शादी की जिद पकड़ ली.

सुनीता और दीपक का समझाना भी बेकार चला गया. हार कर उन्होंने शादी की इजाजत तो दे दी, पर साथ ही यह भी कह दिया कि शादी कोर्ट में ही होगी और वे दोनों वहां उस समय उपस्थित नहीं रहेंगे. आकाश के दोस्त ही गवाह बन कर साइन कर देंगे.

तभी दरवाजे की घंटी बजने से सुनीता वर्तमान में लौट आई. ‘शायद दीपक आ गए’ सोचते हुए उस ने दरवाजा खोला. सामने के फ्लैट में रहने वाली निशा आई थी.

‘‘सुनीता दी, आज तो आकाश का बर्थडे है न. इस बार केक नहीं खिलाया आप ने?’’ दोनों के बैठते ही निशा बनावटी शिकायत करते हुए बोली.

‘‘अरे, क्या बताऊं निशा, जब से आकाश की लाली के साथ शादी हुई है, मन बुझ सा गया है मेरा. बनाया तो था केक पर तुम्हें देना भूल गई.’’

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