सदियों से धर्म के ठेकेदार भ्रामक प्रचार करते आए हैं कि धर्म से ही समाज और व्यवस्था चलती है. सोचने वाली बात तो यह है कि धर्म ही अगर समाज व व्यवस्था को चला रहा होता तो अदालत, सेना, पुलिस और संसद की जरूरत क्यों पड़ती? सच तो यह है कि धर्म की दुकानों में दंगेफसाद, यौनशोषण और अपराध जैसे कुकर्म पनपते हैं, पढि़ए जगदीश पंवार का लेख.

दिल्ली के उत्तरपश्चिम के समृद्ध इलाके रोहिणी में आउटर रिंग रोड पर काली माता का प्रसिद्ध मंदिर है. यहां हर शुक्रवार को भारी भीड़ जमा होती है. देर रात तक दर्शन के लिए लंबी लाइन लगती है. मंदिर के आसपास करीब 1600 वर्ग फुट तक की जगह गलत तरीके से भक्तों और दुकानदारों के लिए घेर कर रखी गई है. यहां दूरदूर से भक्त चल कर आते हैं. लोग अपनी गाडि़यां आड़ीतिरछी गलत जगह पार्किंग करते हैं, जोरजोर से शोर करते हैं. चलते हुए आपसी बातचीत में गंदे शब्दों, गालियों तक का इस्तेमाल करते हैं. पान, गुटका चबाते हुए सड़कों, गलियों में जगहजगह थूकते चलते हैं. मंदिर में आसपास प्रसाद, फूल, नारियल के टुकड़े, थैलियां, कागज तथा खानेपीने की खराब चीजें जगहजगह बिखरी पड़ी रहती हैं. आने वाले भक्तों के साथ पर्स, चैन स्नैचिंग की वारदातें होती रहती हैं. इस तरह की अनगिनत करतूतें हैं जो यहां देखी जा सकती हैं.

यहां आने वाले लगभग सभी लोग पढ़ेलिखे होते हैं लेकिन वे ये सब नहीं देखते. इस से ऐसा लगता है तमाम बुनियादी कर्तव्य, नैतिकता, धार्मिक अच्छाइयां खो गई हैं. धर्म में विश्वास रखने वाले व्यक्ति धर्म को समाज की व्यवस्था की नींव कहते नहीं थकते हैं. धर्म में अगर अच्छाइयां और सदाचार की बातें होतीं तो क्या इस तरह की अव्यवस्था होती?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...