सवाल
मैं 30 वर्षीय विवाहिता व किशोरवय बेटे की मां हूं. आजकल मैं अपनी एक पारिवारिक समस्या से बेहद परेशान हूं. मैं सरकारी स्कूल में अध्यापिका हूं, जबकि पति आजकल बहुत बुरे दौर से गुजर रहे हैं. वे जिस प्राइवेट कंपनी में काम करते थे वहां से अचानक उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. कहा गया कि कंपनी आर्थिक मंदी से जूझ रही है. अब समस्या यह है कि उन्हें अपनी पोजीशन और योग्यता के अनुसार काम नहीं मिल रहा. वे पहली कंपनी में जितनी तनख्वाह पाते थे उतनी ही तनख्वाह पर काम करना चाहते हैं. उन्हें खाली बैठे 2 महीने हो गए हैं.
मैं उन से कहती हूं कि तनख्वाह कुछ कम भी मिलती है तो कोई बात नहीं. नौकरी जौइन कर लें. पर वे मानते ही नहीं. कहते हैं लोग आगे बढ़ना चाहते हैं और मैं पीछे जाऊं? उन्हें कैसे समझाऊं?
जवाब
आप अपने पति को इस बात के लिए राजी करें कि यदि उन्हें मनमाफिक काम मिलता है, कंपनी अच्छी है, तो तनख्वाह को ज्यादा तवज्जो नहीं देनी चाहिए.
मेहनत करेंगे तो आगे बढ़ने का अवसर भी मिलेगा. नौकरी करते हुए इस से बेहतर नौकरी के लिए प्रयास कर सकते हैं. पर निरंतर कुछ समय और खाली बैठे रहे तो जहां उन का आत्मविश्वास कम होगा, वहीं बेहतर नौकरी मिलना और दूभर हो जाएगा.




 
  
  
  
             
        



 
                
                
                
                
                
                
                
               